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नज़रिया: 'लैंडिंग ठीक कर लेते तो और खेल रहे होते नेहरा'

By Bbc Hindi

भारतीय तेज़ गेंदबाज़ आशीष नेहरा अगले महीने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ होने वाले पहले टी-20 मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देंगे.

38 वर्षीय नेहरा ने गुरुवार को इसका ऐलान किया. न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सिरीज़ का पहला टी-20 मैच 1 नवंबर को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर होगा.

नेहरा ने कहा, "अपने घरेलू दर्शकों के सामने रिटायर होऊंगा जहां 20 साल पहले मैंने अपना पहला मैच खेला था. यह इससे अच्छा नहीं हो सकता था."

नेहरा ने यह भी साफ़ किया कि वह अब आईपीएल में भी नहीं खेलेंगे.

नेहरा का क्रिकेट करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा. एक समय वे उम्मीद जगाने वाले तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर उभरे लेकिन फिर चोटें उनके करियर पर हावी होने लगीं.

उनके करियर के विश्लेषण के लिए बीबीसी संवाददाता कुलदीप मिश्र ने खेल पत्रकार प्रदीप मैगज़ीन और विशेषज्ञ अतुल वासन से बात की.

पढ़िए, नेहरा के क्रिकेट करियर पर जानकारों की राय

'लैंडिंग ठीक कर लेते तो...'

  • प्रदीप मैगज़ीन, वरिष्ठ खेल पत्रकार

जब वो नए नए आए थे तो तेज़ गेंद फेंकते थे और स्विंग भी कराते थे. 2003 के विश्व कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ उनका स्पेल यादगार था.

उन्होंने कई बार अच्छे स्पेल डाले हैं, लेकिन दुर्भाग्य से उनका शरीर, गेंदबाज़ी का एक्शन और ख़ास तौर से गेंदबाज़ी एक्शन की लैंडिंग, चोटों को बुलावा देने वाली थी.

लगातार चोटों की वजह से वह अपनी क्षमता के साथ न्याय नहीं कर पाए और इस वजह से उन्हें भारतीय टीम से बाहर होना पड़ा.

लेकिन टी-20 मैचों ने उनके करियर को संजीवनी दी क्योंकि उसमें सिर्फ चार ओवर फेंकने होते हैं. वो आईपीएल में खेले और फिर शानदार प्रदर्शन के बूते भारतीय टीम में वापस बुलाए गए.

टी-20 मैचों में उनकी कामयाबी यह दिखाती है कि अगर आपके पास ज़्यादा ओवर फेंकने लायक फिटनेस नहीं है, लेकिन हुनर है तो आप टी-20 क्रिकेट में बतौर गेंदबाज़ सफल हो सकते हैं.

आशीष नेहरा ने टेस्ट मैचों में भी कुछ अच्छे स्पेल फेंके, लेकिन उनका यादगार स्पेल विश्व कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ही रहेगा, जब उन्होंने 6 विकेट चटकाए थे.

2003 विश्व कप में उन्होंने गेंद स्विंग ही नहीं कराई, काफी तेज गेंदबाज़ी भी की. उन्होंने 150 किलोमीटर प्रति घंटे के करीब गेंद भी फेंकी थी, जो हिंदुस्तानी गेंदबाज़ के लिए बड़ी बात है.

आशीष नेहरा टीम से अंदर-बाहर होते रहे तो इसकी वजह उनकी कम मेहनत नहीं, बल्कि उनका गेंदबाज़ी एक्शन ही था. कई लोग कहते हैं कि वो जो लैंडिंग करते थे उसमें दिक्कतें थीं और उस वजह से वह घुटनों और एड़ियों पर ज़्यादा वज़न नहीं ले पाते थे.

जो भी वजह रही हो, अगर वह फिट रहते तो ज़हीर ख़ान के साथ आशीष नेहरा की जो जोड़ी बनने लगी थी, वह हिंदुस्तान की बेहतरीन पेस जोड़ियों में होती. लैंडिंग ठीक कर लेते तो शायद अभी और खेल रहे होते.

'टी-20 न आता तो कब के हो गए होते रिटायर'

  • अतुल वासन, पूर्व क्रिकेटर और क्रिकेट विश्लेषक

गेंदबाज़ तो बड़े ज़बरदस्त हैं, यह तो मानना पड़ेगा. लेकिन जल्दी जल्दी चोटिल भी हो जाते थे. लेकिन उनकी किस्मत अच्छी थी कि करियर का अंत आते-आते बीस मैचों का क्रिकेट शुरू हो गया और वह उसके लाजवाब गेंदबाज़ बनकर उभरे.

हालांकि टी-20 क्रिकेट नहीं आता तो मुझे लगता है कि 10-12 साल पहले ही नेहरा क्रिकेट छोड़ चुके होते. लंबे क्रिकेट को उनका शरीर नहीं खेल पा रहा था.

इसीलिए उनके करियर का 'बूस्टर शॉट' टी-20 क्रिकेट के आने से ही लगा. उसी के चलते वह भारत के लिए इतने टी-20 मैच खेल गए.

उनके करियर का शीर्ष 2003 में था. अब 2018 आने वाला है तो समझिए कि 15 साल पहले उन्होंने अपने करियर का शीर्ष हासिल किया था.

लेकिन इतने वर्षों में वह सिर्फ 120 वनडे ही खेल पाए. इसी से पता चलता है कि चोटों ने कैसे उन्हें पूरे करियर में परेशान किया.

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Story first published: Tuesday, November 14, 2017, 12:19 [IST]
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