धोनी ने अंगूठे की चोट के बाद लिया था हैरतअंगेज फैसला, उसी अंदाज में खुद भी कप्तानी छोड़ गए विराट
नई दिल्लीः भारतीय टीम के सबसे सफल टेस्ट कप्तान विराट कोहली के कप्तानी कैरियर का हैरतअंगेज ढंग से अंत हो गया है। कोहली ने खुद ही 15 जनवरी को अपनी कप्तानी से इस्तीफा देने की घोषणा की। इससे पहले कोहली T20 और वनडे कप्तानी से भी हट चुके थे। सफेद गेंद फॉर्मेट से इस्तीफा देने के बाद कोहली के फैंस को उम्मीद थी कि यह सुपर स्टार बल्लेबाज आने वाले कई सालों तक टेस्ट मैचों में भारतीय क्रिकेट को रास्ता दिखाता रहेगा क्योंकि विराट ने कई मौकों पर बताया है कि टेस्ट क्रिकेट उनका असली जुनून है।
Recommended Video
महेंद्र सिंह धोनी को खास धन्यवाद दिया
लेकिन कोहली ने एक झटके में ही पूरे क्रिकेट जगत को हिला कर रख दिया और एक ऐसी एक ऐसी घोषणा कर दी जिस को शायद 2022 साल की सबसे हैरतअंगेज क्रिकेट घटना कहा जाएगी। कोहली ने 40 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की और 68 मैचों में उन्होंने कप्तानी की थी। महेंद्र सिंह धोनी ने 27 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की थी और विराट कोहली उनसे बहुत ज्यादा आगे हैं। विराट कोहली ने अपना करियर छोड़ते हुए महेंद्र सिंह धोनी को खास धन्यवाद दिया है। कोहली तो तब भारत का फुल टाइम टेस्ट कप्तान बनाया गया था जब धोनी ने अचानक क्रिकेट के सबसे लंबे फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी।
'असली' क्रिकेट में कभी ना भुलाने वाला योगदान, क्यों विराट कोहली हैं भारत के महानतम टेस्ट कप्तान
धोनी के अंगूठे की चोट के बाद तय हुआ कप्तानी का रास्ता-
कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर साल 2015 में चौथे टेस्ट मैच के दौरान बतौर कप्तान भारतीय क्रिकेट टीम को लीड किया था। इस सीरीज के दौरान ही विराट ने पहले टेस्ट मैच में भी अपनी टीम को कप्तान के तौर पर लीड किया था। इस सीरीज के पहले मैच से पूर्व धोनी के अंगूठे में चोट लग गई थी और वह पहले मुकाबले से बाहर हो गए थे। विराट कोहली 2012 से ही टीम के लीडर से ग्रुप के हिस्से थे और कप्तान के तौर पर उनका नाम आना किसी को हैरान भी नहीं किया। कोहली ने तब कहा था, "मैं कल कप्तानी करूंगा। हम उम्मीद करते हैं कि धोनी अगले कुछ दिनों में 100% फिट हो जाएंगे। हम चाहते हैं कि जब भी मैच खेले तो उससे पहले 100% फिट हों।"
कप्तान बनते ही छा गए कोहली-
उस सीरीज के दौरान किसी को नहीं पता था कि विराट कोहली अब भारत के फुल टाइम टेस्ट कप्तान भी बनने जा रहे हैं क्योंकि इस श्रंखला से पहले धोनी का टेस्ट मैचों से संन्यास लेने का कोई इरादा नहीं था। लेकिन धोनी ने बीच सीरीज में ही सन्यास ले लिया और तब भी सबने हैरानी जताई और कोहली भारत के टेस्ट कप्तान बन गए। तब भारत ने पहला टेस्ट मैच जीतने में कामयाबी हासिल नहीं की थी लेकिन भारत ने 315 रनों का लक्ष्य का पीछा करते हुए केवल 48 रनों की कमी ही दिखाई थी। खास बात यह थी कि कोहली ने सामने से आकर लीड किया और दोनों ही पारियों में शतक लगाया था।
ऑस्ट्रेलिया में मिली कमान, ऑस्ट्रेलिया में किया कमाल-
ऑस्ट्रेलिया ने दूसरा टेस्ट मैच जीता जबकि तीसरा मुकाबला ड्रा रहा। चौथे टेस्ट मैच तक आते-आते कोहली फुल टाइम भारतीय टेस्ट कप्तान बन चुके थे और भारत ने 349 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 7 विकेट के नुकसान पर 252 रन बनाए थे और मैच ड्रा रहा था। उस वक्त किसी भी इंसान को यह नहीं पता था कि 4 साल बाद विराट कोहली ऐसे सबसे पहले एशियाई कप्तान बनेंगे जो ऑस्ट्रेलिया को उसी की मांद में घुसकर टेस्ट सीरीज में हराएंगे। कोहली ने ऑस्ट्रेलिया को उसके घर पर हराने के अलावा अपनी घरेलू सरजमीं पर टेस्ट कप्तानी कार्यकाल के दौरान एक भी सीरीज नहीं गंवाई। सच तो यह है कि कोहली की कप्तानी में भारत अपने घर में केवल 2 मैच में ही हारा।