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ना गले मे चेन, ना वो कैप, मोबाइल भी टूटा हुआ, पैसे की तंगी में पहचान भी नहीं आया क्रिकेट का सितारा

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नई दिल्ली, 17 अगस्त: आज इस आर्टिकल में आपको क्रिकेट के दो चेहरे और दो पक्ष नजर आएंगे। दोनों ही खिलाड़ी मुंबई के हैं, एक का नाम है सचिन तेंदुलकर और दूसरे हैं विनोद कांबली। दोनों की दोस्ती बचपन से है और शायद अब तक अभी तक कायम भी होगी। दोनों ने एक साथ क्रिकेट सीखा, भारतीय टीम में भी साथ में कुछ समय तक खेला, लेकिन सचिन बहुत आगे चले गए और विनोद कांबली का समय मानो वही थमकर रह गया। यह खिलाड़ी इंटरनेशनल क्रिकेट में कुछ खास नहीं कर पाया और बाद में गुमनाम गली में कहीं खोकर रह गया।

 शायद क्रिकेट के किसी भी फैन को दुख होगा

शायद क्रिकेट के किसी भी फैन को दुख होगा

कांबली को हम एक ऐसे मस्त मौला खिलाड़ी के तौर पर जानते थे जिसमें गंभीरता अपने दोस्त सचिन की तुलना में भले ही थोड़ी कम रही लेकिन प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी। हालांकि वह प्रतिभा 22 गज की पिच पर वह रंगत नहीं दिखा पाई जिसके हकदार कांबली थे और आज उनकी जो स्थिति है वह सुनकर शायद क्रिकेट के किसी भी फैन को दुख होगा।

बाएं हाथ का यह स्टाइलिश बल्लेबाज आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है जहां उसकी जिंदगी का गुजारा केवल बीसीसीआई के द्वारा मिल रही पेंशन से हो रहा है।

केवल 30 हजार रुपये प्रतिमाह से मुंबई में गुजारा

केवल 30 हजार रुपये प्रतिमाह से मुंबई में गुजारा

पेंशन की रकम को जानकर भी आप हैरान रह जाएंगे क्योंकि यह केवल 30 हजार रुपये प्रतिमाह है और कांबली को मुंबई जैसे शहर में अपनी एक लाइफस्टाइल मेंटेन करनी है जिसके लिए यह रकम ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है। सचिन का जिगरी दोस्त आज पैसे-पैसे का मोहताज है और अपनी आजीविका चलाने के लिए अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए क्रिकेट से जुड़ा कोई भी काम करने के लिए तैयार है। मिड-डे अखबार में छपी खबर बताती है कि 50 साल का यह खिलाड़ी आज पहचान में भी नहीं आता है।

ना गले मे चेन, ना वो कैप, मोबाइल भी टूटा हुआ

ना गले मे चेन, ना वो कैप, मोबाइल भी टूटा हुआ

इसी अखबार से पता चला कि विनोद कांबली मंगलवार को एक कॉफी शॉप में बैठे हुए थे और अपने शौकीन स्टाइल से बहुत दूर एक साधारण, मुरझाए इंसान रहे थे। ना उनके गले में सोने की चेन थी, ना उनकी स्टाइलिश कैप थी और ना ही वह कपड़े थे जिसके लिए हम कांबली को जानते हैं। इतना ही नहीं उनके मोबाइल फोन की स्क्रीन तक टूटी हुई थी। कांबली अपनी कार से भी नहीं आ जा पा रहे हैं और उनको क्लब तक आने के लिए भी अपने दोस्त की कार मांगनी पड़ती है।

 परिवार की देखभाल करनी है

परिवार की देखभाल करनी है

इसी अखबार से बात करते हुए कांबली ने कहा कि यह ऐसा दौर है जहां काम की जरूरत है। कांबली कहते हैं कि, क्रिकेटर के तौर पर मेरी आय का सोर्स पूरी तरह से बीसीसीआई की पेंशन है। मैं इसके लिए उनका शुक्रगुजार भी हूं। लेकिन मुझे काम चाहिए, एक असाइनमेंट चाहिए, ताकि मैं युवाओं की भी मदद कर सकूं और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकूं।

यहां विनोद ने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन सेअपील की है कि उनको कोचिंग का कोई काम दे ताकि वह युवाओं को तराशकर अपनी आजीविका भी कमा सकें। कांबली ने कहा कि भले ही मुंबई ने अमोल मजूमदार को कोच बना दिया है लेकिन अगर उनको मेरी जरूरत है तो मैं उनके लिए मौजूद है। मुझे अपने परिवार की देखभाल करनी है।

 बचपन से ही गरीब थे

बचपन से ही गरीब थे

कांबली कहते हैं कि क्रिकेट से एक बार संन्यास लेने के बाद दोबारा क्रिकेट खेलना संभव नहीं होता। लेकिन जीवन में आप को सुकून से रहने के लिए काम करना जरूरी होता है और मैं एक ऐसे ही असाइनमेंट की तलाश कर रहा हूं। मैं मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष से दरख्वास्त कर सकता हूं कि मेरी जरूरत है तो मुझे बताइए।

कांबली यह भी कहते हैं कि वह बचपन से ही गरीब थे और यह एक ऐसी स्थिति है जो परेशान करती है। उन्होंने ऐसा भी समय देखा जब उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे और कई कई बार भूखे पेट ही रह गए।

 माता-पिता की बहुत याद आती है

माता-पिता की बहुत याद आती है

वे अपने जीवन में जो भी कुछ हासिल कर पाए वह क्रिकेट खेल कर ही मिला था। कांबली बताते हैं कि, मैं शारदा के आश्रम स्कूल में जाता था जहां मुझे खाना इसलिए मिलता था क्योंकि मैं वहां टीम में शामिल था और वहीं पर सचिन तेंदुलकर मेरे दोस्त बने थे। कांबली को अपने माता-पिता की बहुत याद आती है जो बहुत ही गरीब थे। कांबली कहते हैं कि, वैसे तो क्रिकेट मुझे बहुत कुछ मिला है लेकिन अब नए असाइनमेंट की जरूरत है।

सचिन तेंदुलकर को सब पता है, पर उनसे कोई उम्मीद नहीं करता

सचिन तेंदुलकर को सब पता है, पर उनसे कोई उम्मीद नहीं करता

यह पूछे जाने पर कि क्या उनके बचपन के दोस्त और भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर इस वित्तीय स्थिति से अवगत हैं, कांबली ने कहा: "वह (सचिन) सब कुछ जानते हैं, लेकिन मैं उनसे कुछ भी उम्मीद नहीं कर रहा हूं। उन्होंने मुझे टीएमजीए (तेंदुलकर मिडलसेक्स ग्लोबल एकेडमी) असाइनमेंट दिया। मैं बहुत खुश था। वह बहुत अच्छे दोस्त रहे हैं। वह हमेशा मेरे लिए रहे हैं। "

विनोद कांबली 90 के दशक में भारतीय क्रिकेट के उभरते सितारे थे जिन्होंने 17 टेस्ट मैच खेले और 1084 रन बनाए। वनडे मैचों में उन्होंने 104 मुकाबले खेले थे।

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English summary
Vinod Kambli suffering in financial crisis, seeking work for family and life maintenance
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