T-20 World Cup : न निराश करो मन को, 15 अक्टूबर तक खोज सकते हैं बुमराह का विकल्प
स्पोर्ट्स डेस्क, 1 अक्टूबर: टी-20 विश्वकप के पहले जसप्रीत बुमराह के चोटिल होने से भारतीय प्रशंसक निराश हैं। वे भारतीय तेज गेंदबाजी की शान हैं। उनके नहीं रहने से टीम के प्रदर्शन पर बहुत फर्क पड़ेगा। वे डॉक्टरों की निगरानी में हैं। उनके विश्व कप खेलने की कम ही संभावना है। प्रतियोगिता के सेमीफाइनल के मैच 9 नवम्बर से शुरू होंगे। अगर भारत सेमीफाइनल में पहुंचता है तो क्या तब तक वे रिकवर हो जाएंगे? वे अपनी गति और अनोखे बॉलिंग एक्शन के कारण बहुत खास है। उनके जैसा कोई नहीं। इसलिए भारत में उनका कोई विकल्प भी नहीं। हां, श्रेष्ठ संभावित की तलाश जरूर की जा सकती है।
'भारत और ऑस्ट्रेलिया जीत सकते हैं T20 WC', पूर्व ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ने की बड़ी भविष्यवाणी
15 अक्टूबर तक टीम में बदलाव संभव
बीसीसीआई अब इस बात का पता लगा रही है कि क्या बुमराह को विश्वकप के आखिरी लम्हों में शामिल किया जा सकता है ? इस सवाल का जवाब बुमराह का इलाज कर रहे डॉक्टर या फिजियो ही दे सकते हैं। वैसे बीसीसीआइ छोटी से छोटी संभावना को भी टटोलने की कोशिश कर रही है। निराश होने की जरूरत नहीं। मंजिलें और भी हैं। मैथिलीशरण गुप्त जी के शब्दों में कहें तो, "नर हो न निराश करो मन को।" भारत 15 अक्टूबर तक टीम में बदलाव कर सकता है। तब तक कुछ गेंदबाजों को आजमाया जा सकता है। अगर बुमराह नहीं खेले तो किसी अनुभवी तेज गेंदबाज का टीम में होना जरूरी है। मोहम्मद शमी और दीपक चाहर प्रमुख संभावित हो सकते हैं।
मोहम्मद शमी और दीपक चाहर
विश्व कप टीम के लिए जिन चार स्टैंटबाई खिलाड़ियों को चुना गया है उनमें सिर्फ दो ही तेज गेंदबाज हैं। मोहम्मद शमी और दीपक चाहर। वे वैसे भी ऑस्ट्रेलिया जाएंगे। चाहर ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टी-20 में अपनी स्विंग गेंदबाजी का शानदार नमूना पेश किया था। लेकिन उस दिन तिरुअनंतपुरम की पिच ने उनका साथ दिया था। भारत के पास जो अभी संभावित विकल्प हैं उनमें ये दो प्रमुख हैं। दीपक चाहर की गति बुमराह से कम है। मोहम्मद शमी की गति चाहर से कुछ अधिक लेकिन बुमराह से कम है। दोनों ही विकेट के लिए स्विंग पर निर्भर हैं। जैसे पहले टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज बाउंसर खेलने से परहेज करते थे वैसे ही अब टी-20 में बल्लेबाज स्विंग को लकर असहज रहते हैं। उनके लिए स्विंग कर रही गेंद पर बड़े शॉट्स लगाना मुश्किल होता है। टी-20 में शमी और चाहर की अहमियत समझने के लिए आइपीएल की तरफ देखना होगा।
दीपक चाहर के आने से टीम में संतुलन
दीपक चाहर और मोहम्मद शमी अगर बार-बार चोटिल नहीं हुए रहते तो उनकी कामयाबी का प्रतिशत कहीं और अधिक होता। दीपक चाहर चोट की वजह से इस साल आइपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से नहीं खेल सके। प्रतियोगिता शुरू होने के पहले से वे चोटिल थे। जब न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर डेनियल बटोरी से चाहर के रिप्लेसमेंट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था, मुझे नहीं लगता कि कोई घरेलू (भारत) गेंदबाज उनकी जगह ले सकता है। उनकी भरपायी के लिए किसी अंतर्राष्ट्रीय तेज गेंदबाज को लाना होगा। चेन्नई ने उन्हें टीम में दोबारा जोड़ने के लिए 14 करोड़ रुपये खर्च किये थे। जाहिर है उनकी गेंदबाजी में दम है तभी चेन्नई ने ऐसा किया था। चोट के बाद उन्होंने शानदार वापसी की है। उनकी बैटिंग भी दमदार है। वे टीम में अहम योगदान दे सकते हैं।
पहले पावर प्ले में 11 विकेट
फिटनेस, मोहम्मद शमी की भी एक प्रमुख समस्या रही है। लेकिन वे प्रतिभाशली गेंदबाज हैं। पता नहीं क्यों भारतीय चयनकर्ता उन्हें टी-20 का गेंदबाज नहीं मानते। लेकिन उन्होंने आइपीएल में अपने खेल से बहुत प्रभावित किया है। आइपीएल 2022 के दौरान उन्होंने पहले पावर प्ले में शानदार गेंदबाजी की थी और 11 विकेट लिये थे। यह पहले छह ओवरों में किसी गेंदबाज का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। गुजरात टाइटंस की तरफ से खेलते हुए 16 मैचों में 20 विकेट लिये। उन्होंने इस नयी टीम को चैम्पियन बनाने में अहम भूमिका निभायी। शमी के मुताबिक, अगर गेंद सही जगह पर डाली जाए तो रन बनाना मुश्किल होता है। सफेद गेंद कुछ ओवरों के बाद स्विंग नहीं करती। अगर पावर प्ले में स्विंग नहीं मिली तो वे अपना सारा ध्यान लेंथ को नियंत्रित करने पर लगाते हैं। मैच के हिसाब से वे चीजें तय करते हैं और यह अनुभव की बात है।
टीम में बदलाव का अभी भी मौका
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर क्रिस लिन और भारत के पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने कुछ दिनों पहले कहा था कि उमरान मलिक भारत के विश्व कप अभियान में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। बुमराह के चोटिल होने के बाद अब हर तरफ उमरान मलिक की बात हो रही है। ऑस्ट्रेलिया में उनकी 150 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार कमाल कर सकती है। भारत 15 अक्टूबर तक टीम में बदलाव कर सकता है। इसके बाद उसे आइसीसी की तकनीकी समिति से मंजूरी लेनी होगी। वनडे मैच में तो टॉस के बाद भी प्लेइंग इलेवन में बदलाव किया गया है। लेकिन इसके लिए विरोधी टीम के कप्तान की सहमति जरूरी होती है।
जब टॉस के बाद बदला गया खिलाड़ी
1996- 97 में ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच मेलबोर्न में वनडे मैच था। कप्तान के रूप में मार्क टेलर और वसीम अकरम टॉस कर चुके थे। तभी टेलर को मालूम हुआ कि प्लेइंग इलेवन के सदस्य टॉम मूडी पेट दर्द से बेहाल हैं। वे खेलने की स्थिति में नहीं थे। तब टेलर ने अकरम से गुजारिश की कि उन्हें मूडी के बदले किसी दूसरे गेंदबाज को अंतिम ग्यारह में शामिल करने दें। अकरम की मंजूरी से तेज गेंदबाज एंथोनी स्टुअर्ट को शामिल किया गया। संयोग देखिए कि यही स्टुअर्ट पाकिस्तान की हार कारण बन गये। उन्होंने 10 ओवरों में 26 रन दे कर पांच विकेट लिये थे।