सचिन को सिर्फ बैटिंग और शॉपिंग का शौक था
लेकिन इन सबमें सबसे दिलचस्प खुलासा उन्होंने सचिन तेंदुलकर के बारे में किया है। उन्होंने बताया कि सचिन को बैट और शॉपिंग करना सबसे अच्छा लगता था। गांगुली ने बताया कि सचिन उन दिनों सिर्फ बैट और शॉपिंग में मशरूफ रहते थे। सचिन टेस्ट में शतक लगाते और अगले दिन आप उन्हें अरमानी, वर्साचे में शॉपिंग करते हुए देखेंगे। उन्हें कपड़ों का बहुत शौक था और उनकी वार्डरोब में यह देखने को मिलता था।
कभी भी नहाने चले जाते थे लक्ष्मण
वीवीएस लक्ष्मण के बारे में बताते हुए गांगुली ने कहा कि वह हमेशा से देर से आने के लिए जाने जाते थे। वह उस वक्त भी नहाने चले जाते थे जब चौथे व पांचवे नंबर का बल्लेबाज क्रीज पर हो, वह हमेशा बस पर चढ़ने वाले आखिरी खिलाड़ी होते थे।
मेरे हर खिलाड़ी ने अपना योगदान दिया
ईडेन गार्डेन में भारत के 250वें टेस्ट मैच के अवसर पर एक टॉक शो में बात करते हुए गांगुली ने इन तमाम बातों के बारे में लोगों को बताया। गांगुली ने बताया कि उनके टीम के खिलाड़ी उनके लिए बहुमूल्य थे जो हमेशा से अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते थे।
मेरे पास कुंबले और सहवगा थे
गांगुली ने कहा कि सहवाग बल्लेबाजी में शीर्ष पर थे और जब गेंदबाजी की बारी आती थी तो आपके पास अनिल कुंबले जैसा गेंदबाज था, जो किसी भी तरह की पिच पर विकेट चटका सकते हैं। वह कहते थे कि आप मुझे स्कोरबोर्ड पर रन दीजिए और मैं आपको टेस्ट मैच जिता कर दुंगा, और वह ऐसा ही करते थे।
सहवाग ने दुनिया में बल्लेबाजी का नजरिया बदला
सहवाग की तारीफ करते हुए गांगुली ने कहा कि उन्होंने दुनिया में बल्लेबाजी का नजरिया बदलकर रख दिया था। अगर आप आज के दौर को देखें तो बल्लेबाज अगर तेजी से रन नहीं बना पाते तो उनकी आलोचना होती है। यह सब सहवाग और मैथ्यू हेडन की वजह से शुरु हुआ था।
कुंबले की कमी को भज्जी ने पूरा किया था
2001में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक कोलकाता टेस्ट मैच के बारे में बात करते हुए गांगुली ने कहा कि उस वक्त मेरे पास कुंबले नहीं था लेकिन हरभजन ने कमाल कर दिखाया था।
गावस्कर ने क्रिकेट को बदला
इस शो में कपिल देव भी मौजूद थे, उन्होंने कहा कि 70, 80 के दशक में भारत के पास सही सोच नहीं थी। दौर सुनील गावस्कर के आने के बाद बदला। बोर्ड के पास भी संसाधनों की कमी थी, वह कठिन समय था। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम टेस्ट में इतनी जल्दी शीर्ष पर पहुंच सकते हैं।
कपिल देव की सोच को कुंबले और दादा ने बदला
कपिल ने कहा कि हमें लगता था आक्रामकता हमेशा से पूर्वोत्तर भारतीयों में होती है। हमे पता था कि बंगाली कलाकार होते हैं, लेकिन तब हमने सौरव को देखा जिनमें जबरदस्त आक्रामकता थी। कपिल दा ने कहा कि हमें लगता था कि दक्षिण भारतीय सरल और शांत स्वभाव के होते हैं लेकिन तब हमने कुंबले को देखा जिनमें जबरदस्त जूनून था।
सिद्धू और जडेजा नहीं बदलते थे कपड़े
कपिल देव ने नवजोत सिंह सिद्धू व अजय जडेजा के बारे में बताया कि वह दोनों खिलाड़ी ऑफ साइड पर सबसे ज्यादा अव्यवस्थित खिलाड़ी थे। उन्हें सबसे खराब कहना थोड़ा ज्यादा होगा लेकिन वह ऑफ साइड के बहुत रफ खिलाड़ी थे, वह बहुत जल्दी कपड़े पहनते थे और कई दिनों तक पहने रहते थे।
सहवाग की सफलता के पीछे दादा और धोनी
वहीं सहवाग ने इस दौरान कहा कि मैं अपने कैरियर का श्रेय सौरव गांगुली और एमएस धोनी को देना चाहुंगा, उन्होंने कहा कि सफल खिलाड़ी के पीछ एक महान कप्तान होता है।
दादा को टीम को नंबर एक बनाना था
सहवाग ने कहा कि दादा के दिमाग में हमेशा एक ही बात रहती थी कि विदेशी धरती पर जीते और नंबर एक पर पहुंचे, उनकी कप्तानी जबरदस्त थी और वह अपने खिलाड़ी का हमेशा समर्थन करते थे।
सहवाग ने बताया कुंबले कैसे बदली उनकी दिशा
सहवाग ने कहा कि मुझे याद है जब मैं डिनर कर रहा था कुंबले ने बताया कि तुम अगले चार मैच खेलोगे, पर्फारमेंस से कोई मतलब नहीं है, बस अपना 100 पर्सेंट देना। इस बात से मैं काफी संतुष्ट होता था। मैंने अपना दूसरा तीहरा शतक कुंबले की ही कप्तानी में बनाया था। मेरे अंदर की प्रतिभा को दादा और कुंबले ने ही पहचाना था।
सहवाग को टीम में जगह खोने का डर नहीं था
सहवाग ने कहा कि क्रिकेट नहीं बदला है बल्कि नजरिया बदल गया है। मुझे टीम में जगह खोने का डर नही रहता था क्योंकि मेरा कप्तान कहता था जाओ और खुलकर खेलो। मैं निर्भीक होकर इसी वजह से खेल पाता था क्योंकि मेरे पास बेहतरीन कप्तान था। सहवाग ने कहा कि कप्तान अहम भूमिका निभाता है, फिर चाहे वह सौरव हों, कुंबले हो या धोनी हो, हर सफल खिलाड़ी के पीछे एक महान कप्तान होता है।