नई दिल्ली। आज क्रिकेट जगत के 'टाइगर' कहे जाने वाले मंसूर अली खान पटौदी की पुण्यतिथि है। क्रिकेट की दुनिया के नायाब हीरों में से एक पटौदी की हर बात निराली थी। वो अपने निजी जीवन में भी एक नवाब की तरह रहे हैं।
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मात्र 20 साल की उम्र में इंग्लैंड के खिलाफ अपना क्रिकेट करियर शुरू करने वाले पटौदी ने अपनी लाइफ में 6 टेस्ट शतक लगाए, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घायल होने के बावजूद मेलबॉर्न में खेली उनकी 75 रन की पारी को सबसे महान रही। 1952 से 1971 तक वे पटौदी के नवाब रहे।
पटौदी की निजी जिंदगी भी उनके खेल की तरह हमेशा चर्चित रही क्योंकि उन्होंने अप्रैल 1969 में अपने जमाने की सबसे मशहूर और खूबसूरत अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से चार साल तक प्रेम करने के बाद विवाह किया था। बॉलीवुड औऱ क्रिकेट कनेक्शन से जुड़ी इस शादी के बारे में लोगों ने कहा था कि ये सफल नहीं होगी लेकिन मंसूर और शर्मिला के प्यार ने लोगों को झूठा साबित करते हुए दुनिया में आदर्श कपल की तस्वीर पेश की।
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दोनों ने साबित किया कि अगर त्याग और समर्पण साथ हो तो प्रेम अमर हो जाता है। हालांकि शर्मिला को पटौदी की बहू-बेगम बनने के लिए इस्लाम अपनाना पड़ा और उन्हें शर्मिला से आयशा सुल्तान बनना पड़ा था लेकिन ये सब बस निकाह की औपचारिकता के लिए था क्योंकि पटौदी की बहू किसी मुस्लिम महिला को ही बनना था। शादी के बाद तो ना शर्मिला बदलीं और ना ही मंसूर।
आज भी शर्मिला टैगोर की अपनी एक अलग पहचान है। वो मिसेज पटौदी के रूप में ही नहीं जानी जाती हैं। शर्मिला ने शादी के बाद भी कई फिल्मों में काम किया जिसके पीछे कारण मंसूर की मोहब्बत और उनका सपोर्ट था जिसके बारे में शर्मिला ने कई बार बहुत सारे इंटरव्यू में कहा है।
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मंसूर और शर्मिला के प्यार की कशिश को आज भी लोग महसूस कर सकते हैं क्योंकि शर्मिला ने नवाब पटौदी के साथ लंबा और सफल रिश्ता पूरी वफादारी के साथ निभाया है और आज भी उनके जाने के बाद वो उनकी चीजों और परिवार की हिफाजत कर रही हैं। दोनों की शादी से तीन बच्चे सैफ अली खान, सबा अली खान और सोहा अली खान हैं। जिनमें सैफ-सोहा तो फिल्मों में काम करते हैं लेकिन सबा देश की जानी-मानी ज्वैलरी डिजाइनर हैं।
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