सचिन की जगह पूरी तरह नहीं भर पाया, 'सुपरस्टार खिलाड़ी के करियर का पहला हॉफ दर्द में गुजर गया'
नई दिल्ली, 18 अगस्त: यह साल 2013 था और पूरा भारत एक भावना के सैलाब में डूब चुका था। ऐसा लग रहा था पूरे देश में केवल एक ही काम होना है और वह है महान सचिन तेंदुलकर की विदाई। सचिन बल्लेबाजी के तमाम महान कामों को पूरा करते हुए 24 साल के सुनहरे करियर को विराम देने की घोषणा कर चुके थे और अपनी अंतिम द्विपक्षीय सीरीज खेल रहे थे जो भारत में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली जा रही थी और इसके लिए कोलकाता का ईडन गार्डन व मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम चुना गया था।
सचिन जा रहे थे, वो आ रहा था
कोलकाता में सचिन ने पहली पारी में 10 और दूसरी में खूबसूरती से 74 रन बनाए। उस मैच में चेतेश्वर पुजारा ने शतक बनाया लेकिन सचिन की विदाई के सामने इसकी क्या बिसात थी? इसलिए वे 74 रन कहीं अधिक चर्चा का विषय थे। भारत ने जैसे ही श्रंखला जीती, सचिन के कैरियर का भी सूर्यास्त हो चुका था। पर ये कौन समझ पा रहा था कि समय कहां रुकता है और यही श्रंखला एक और बेहद प्रतिभाशाली भारतीय बल्लेबाज के उदय की गवाह बन चुकी थी।
सबने सोचा सचिन की जगह अब भर जाएगी
कोलकाता में रोहित ने अपना टेस्ट डेब्यू किया और 177 रन बनाए, जिसके साथ ही वे ऐसे 14वें भारतीय बल्लेबाज बन गए जिसने अपने पहले ही टेस्ट मैच में सैकड़ा जड़ा। मुंबई में रोहित ने 111 रन नाबाद बनाएं और तब लगा था कि रोहित शर्मा का टेस्ट करियर बहुत ही जबरदस्त जाने वाला है लेकिन आश्चर्यजनक तौर पर ऐसा नहीं हुआ और विराट कोहली, अजिंक्य रहाने व चेतेश्वर पुजारा भारत के अगले बड़े मध्यक्रम के बल्लेबाज बन गए।
रोहित कभी कभार टेस्ट मैच खेलते और अपनी जगह को मजबूत करने में संघर्ष करते रहते। यह हालत देखकर कोई भी सोच सकता है कि रोहित को शुरू से ही टेस्ट मैचों में खेलना चाहिए था लेकिन उनके टेस्ट करियर का पहला हिस्सा सुपरहिट नहीं रहा जैसा कि आज खुद हिटमैन हैं।
जिंदगी और खेल के बारे में आप कुछ बता नहीं सकते
दिनेश कार्तिक ने क्रिकबज से बात करते हुए इस बारे में कहा, मुझे नहीं लगता कि भारत के नजरिए से रोहित शर्मा से अधिक सफल कोई और टेस्ट डेब्यू करने वाले खिलाड़ी होगा। दोनों ही मुकाबलों में उन्होंने शतक लगाए और फिर यह सब कुछ हो गया। सच यह है कि सचिन तेंदुलकर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले रहे थे और रोहित शर्मा वह खिलाड़ी है जो हमें उन सब सवालों का जवाब देने जा रहे थे। लेकिन जिंदगी और खेल के बारे में आप कुछ बता नहीं सकते कब कौन किस करवट पलट जाए और रोहित शर्मा के जीवन में भी काफी बदलाव आया।
सफेद गेंद क्रिकेट में हिटमैन बनने के बाद टेस्ट ओपनर बन पाए
रोहित के टेस्ट करियर ने एक विराम ले लिया लेकिन सफेद गेंद क्रिकेट ने उसी समय हिटमैन का उदय देखा। रोहित दुनिया में सबसे पहले बल्लेबाज बने जिन्होंने तीन एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय दोहरे शतक लगाए और उन्होंने चार टी20 इंटरनेशनल शतक भी लगाएं। सफेद क्रिकेट में बड़ी ताकत होने के बावजूद भी वे टेस्ट मैच में नहीं होते थे। जब सबको लगा कि रोहित शर्मा टेस्ट मैच खेल ही नहीं पाएंगे तो साल 2019 में सब कुछ बदल दिया और रोहित शर्मा के रूप में भारत को शानदार टेस्ट ओपनर मिला।
बस कुछ चीजें उनके बस में नहीं हुई- दिनेश कार्तिक
रोहित सफेद गेंद में ओपनर के तौर पर सफल रहे तो उनको आजमाने के लिए टेस्ट मैच में ओपनिंग का स्लॉट बचा था और वहां पर शर्मा ने कमाल कर दिया। आज रोहित गजब खेल रहे हैं लेकिन इससे पहले जो अनिश्चित भविष्य के दिन थे वे रोहित के लिए मुश्किल रहे। दिनेश कार्तिक कहते कि, रोहित ने कुछ सवालों के जवाब दिए और कुछ जवाब उनके पास नहीं थे। रोहित हमेशा से मानते थे कि उनके पास टेस्ट क्रिकेट में योगदान देने के लिए कुछ जरूर है। मैंने जब भी उनसे बात की तो उनका मानना था कि टेस्ट क्रिकेट में बस कुछ चीजें उनके बस में नहीं हुई। कई बार वे ऐसे ही लचीला शॉट खेलकर आउट हो गए। लेकिन उनको पूरा यकीन था वापसी करेंगे।
करियर का पहला हॉफ पीड़ा में गुजर गया
रोहित के चमकदार करियर का पहला हॉफ टेस्ट क्रिकेट में मिल रही विफलता के दर्द में ही गुजर गया। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान भी कहा था कि उनके तब ज्यादा खुश होते हैं जब वे टेस्ट मैचों में अच्छा करते हैं। पिता बेटे को सफेद गेंद क्रिकेट में शतक पर शतक लगाते देखकर अच्छा महसूस करते रहे लेकिन आंखों में इंतजार लाल गेंद से हिटमैन को हिट देखने का था जो रोहित के करियर के दूसरे हॉफ में ही जाकर पूरा हो पाया। आज रोहित ना केवल टेस्ट में नियमित खिलाड़ी हैं बल्कि कप्तान भी हैं।
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