बैंगलुरू। फिल्म इम्तियाज अली की सुपर हिट फिल्म 'Rockstar' का एक मशहूर संवाद है कि जब तक इंसान को धक्का नहीं लगता तब तक वो स्टार नहीं बन सकता इसलिए इंसान को सफल होने के लिए इंसान का टूटना बहुत जरूरी है।इसलिए आज वनइंडिया आपको Rockstar Series के तहत बतायेगा रीयल लाइफ के ऐसे हीरों के बारे में जिनके दर्द ने उन्हें जिंदगी की कैनवस का सुपरस्टार बना दिया।
इस सीरीज के पहले सदस्य है क्रिकेट जगत के चमकते सितारे विराट कोहली। कोहली वो नाम है , जिन पर आज दौलत-शौहरत दिल खोलकर बरस रही है। दिग्गज उनके नाम का सजदा कर रहे हैं तो लड़कियां उनके नाम की आहें भर रही हैं।
पिता की ख्वाहिश थी इंडियन क्रिकेट का रौशन चिराग बने
लेकिन आपमें से बहुत कमलोग जानते होंगे कि अच्छे-अच्छे बॉलरों को धूल चटाने वाले विराट अपनी सफलता के बाद किसे याद करते हैं..जी हां वो हैं उनके पापा..सरोज कोहली। जिनका सपना था कि विराट एक दिन इंडियन क्रिकेट का रौशन चिराग बने लेकिन जब तक विराट कोहली उनका ये सपना सच कर पाते तब तक उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था।
बात कुछ सालों पहले दिसंबर 2006 रणजी मैच की है जब मात्र 17 साल की उम्र में दिल्ली की ओर से कोहली मैच खेल रहे थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया लेकिन विराट कोहली ने अपने पिता के सपने को सच करने के लिए पहले ग्राउंड पर जाकर अपना खेल पूरा किया और तब जाकर वो अपने पापा के अंतिम संस्कार में पहुंचे।
पापा के निधन ने विराट को बदल दिया
यह बात कोहली की मम्मी ने न्यूज 24 के कानकेल्व प्रोग्राम में बतायी थी। उन्होंने कहा कि उस दिन के बाद से हमारा विराट एकदम से चेंज हो गया।
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विराट की हर सफलता के पीछे जितनी उनकी मेहनत है उतनी ही उनके पिता की दुआएं भी है,विराट कोहली ने खुद ही कहा था कि मुझे लगता है कि हर पल मेरे पापा मुझे कहीं से निहार रहे हैं, आज मेरे पास जो कुछ भी है वो शायद उन्हीं के कारण है, वो अगर मुझ पर मेहनत ना करते तो आज शायद ये कोहली विराट नहीं बनता।
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