राहुल द्रविड़ के 50वें बर्थडे पर 'मिस्टर भरोसेमंद' की 'दीवार' सरीखी टेस्ट पारियों पर एक नजर
भारत के हेड कोच राहुल द्रविड़ आज 50 साल हो गए हैं। उन्होंने भारत के लिए 164 टेस्ट मैच खेले जहां पर कई टॉप की परफॉरमेंस दी और इस दौरान 'द वॉल', 'मिस्टर भरोसेमंद' जैसे नाम भी कमाए।
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ अपने करियर के दौरान टीम इंडिया की दीवार के तौर पर खड़े रहे। उन्होंने कई चट्टानी पारियों को अंजाम दिया जिसे भेदना विपक्षी गेंदबाजी के बूते की बात साबित नहीं हुई। जिस समय राहुल द्रविड़ बल्लेबाज थे तब ऐसे विशुद्ध टेस्ट स्टाइल बल्लेबाजों की कद्र और वक्त दोनों हुआ करते थे। इसी वजह से उन्होंने धीमे लेकिन ठोस अंदाज के साथ 300 से ऊपर वनडे मैच भी खेले। आज अपना 50वां जन्मदिन मना रहे द्रविड़ क्रिकेट के अलग ही स्कूल से आते हैं जहां उनके जैसा एकमात्र खिलाड़ी आज की तारीख में चेतेश्वर पुजारा ही दिखाई देता है। क्रिकेट अब बदल चुका है जिसको पहचानते हुए पुजारा ने भी इंग्लैंड जाकर काउंटी में खुद के आक्रामक अंदाज को टटोला और हाल में ही टेस्ट स्तर पर अपना सबसे तेज शतक भी लगाया।
द्रविड़ आज भी प्रासंगिक हैं
ओवरसीज चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में तो द्रविड़ आज भी प्रासंगिक हैं जहां एक सत्र खेल के रुख को पूरी तरह से पलट देता है। कई बार बैटिंग ताश के पत्तों की तरह से बिखरती है। गाबा में दक्षिण अफ्रीका केवल दो दिनों में मैच हार गया था। ऐसी परिस्थितियों में हमें द्रविड़ याद आते हैं। टीम इंडिया के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने अपने सुनहरे करियर में कई ऐसे पारियों को बुना जिसने भारतीय क्रिकेट की पहचान एक मजबूत टीम के तौर पर स्थापित की। एक ऐसी टीम जिसको तब तक दरकिनार करना संभव नहीं जब का 'द वॉल' क्रीज पर मौजूद हैं। यही वजह है जब भारत के बाकी बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया में संघर्ष कर रहे थे तब स्लिप में खड़े मैथ्यू हेडन एक मौके पर द्रविड़ से पूछते हैं- ऐसी तकनीक कहां से सीखी मेरे दोस्त?
कुछ बेहतरीन पारियों पर नजर-
राहुल के 50वें जन्मदिन पर आइए एक नजर डालते हैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी कुछ बेहतरीन पारियों पर-
2001 में ईडन गार्डन्स में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वीवीएस लक्ष्मण ने 281 रनों की दैवीय पारी खेली थी लेकिन उनका साथ निभाया था 180 रन की पारी खेलने वाले राहुल द्रविड़ ने जिसको आज खेल के सबसे लंबे प्रारूप में सबसे जीवट पारियों में से एक के रूप में देखा जाता है। ईडन गार्डन्स में हो रहे इस मुकाबले पर ऑस्ट्रेलिया का पूरा नियंत्रण था क्योंकि उन्होंने फॉलो-ऑन भी दे दिया था। असल में ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी में 445 रन के जवाब में भारत 171 रन पर आउट हो गया था तब लक्ष्मण और द्रविड़ ने ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त कर दिया, जिसमें शेन वार्न और ग्लेन मैकग्राथ जैसे महानतम श्रेणी के गेंदबाज शामिल थे।
पाकिस्तान के खिलाफ 270 रन की पारी
2004 में रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ उनकी 270 रन की पारी द्रविड़ के कैरेक्टर का शानदार उदाहरण हैं। तीन मैचों की श्रृंखला 1-1 से बराबर थी और भारत पर पाकिस्तान में टेस्ट सीरीज जीतने का प्रैशर अलग था। द्रविड़ शुरुआत दो मुकाबलों में कप्तान होने के कारण बैटिंग पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे थे। उनको आउट ऑफ फॉर्म भी कहा जा रहा था लेकिन द्रविड़ ने तीसरे मुकाबले में नियमित कप्तान सौरव गांगुली के आने के बाद केवल एक बल्लेबाज के तौर पर फोकस किया और जो पारी खेली उसने ना केवल भारत को जिताया बल्कि द्रविड़ को मैन ऑफ द मैच भी बनाया।
वनडे में विकेटकीपर भी रहे
2011 में ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ द्रविड़ के 146 रनों पर कम बातें होती हैं। भारत इस सीरीज के अंतिम मुकाबले को खेल रहा था और 0-3 से पीछे चल रहा था। इस मैच में ओपनर गंभीर के चोटिल होने के चलते द्रविड़ टॉप ऑर्डर पर खेले लेकिनभारत ने नियमित अंतराल पर विकेट गंवाना जारी रखा। ऐसे में राहुल ने 146 रनों की अटूट पारी खेली और उस वह श्रृंखला में टीम के प्रमुख रन-स्कोरर बन गए। ये बाकी बल्लेबाजों की गंभीर विफलता थी जिसके चलते भारत इन व्यक्तिगत प्रयासों के बावजूद सीरीज नहीं बचा सका।
राहुल मुख्य तौर पर टेस्ट क्रिकेट में अपने अतुलनीय योगदान, शख्सियत और अनुशासन के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। हालांकि उन्होंने 344 वनडे भी खेले और वहां पर विकेटकीपर बनकर कई मैचों में वह भूमिका अदा कि जो उनको सूट नहीं करती थी लेकिन इससे टीम का संतुलन ठीक रहता था। उस जमाने में भारत के पास धोनी और पंत जैसे कीपर कहां हुआ करते थे।
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