टीम इंडिया पांचवी टीम
500 टेस्ट मैच यह नंबर अपनी अहमियत को कुछ इस तरह भी बयां करता है कि टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ पांच ही टीम इस मुकाम को हासिल कर सकी हैं।
-इंग्लैंड (976)
-ऑस्ट्रेलिया (791)
-वेस्टइंडीज (517)
-भारत (500)
कुंबले ने बताया गर्व का छड़
भारत के इस 500 टेस्ट मैच के सफर में 285 खिलाड़ियों को टीम इंडिया का हिस्सा होने का मौका मिला है। इस दौर में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन निसंदेह वह इस पल को देखकर खुश होंगे। टीम इंडिया के कोच अनिल कुंबले ने इस मैच की शुरुआत पर कहा कि यह गर्व का पल है। उन्होंने कहा कि बतौर खिलाड़ी 132 टेस्ट मैच खेलने के बाद 500 मैच में टीम का हिस्सा होना बेहत खास है।
44 साल बाद मिली लॉर्ड्स में जीत
भारत ने पहला टेस्ट 1932 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था जिसमें टीम इंडिया को 158 रन से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में जीत हासिल करने के लिए टीम का काफी लंबा इंतजार करना पड़ा था। लॉर्ड्स में टीम इंडिया ने पहली जीत 1986 में हासिल की थी।
पहली जीत हासिल करने के लिए 25 टेस्ट का इंतजार
यूं तो टीम इंडिया ने टेस्ट मैच खेलने की शुरुआत 1932 में की थी लेकिन उसे पहली जीत का स्वाद चखने में के लिए 24 टेस्ट मैच और 20 साल से भी अधिक का समय तक इंतजार करना पड़ा। टीम इंडिया को पहली जीत का स्वाद 25वें टेस्ट मैच में मिला। टीम इंडिया ने 1951-52 में चेन्नई में इंग्लैंड को पहली बार हराया था, इसके बाद दो टेस्ट मैच में पाकिस्तान को हराकर टीम इंडिया ने अपना दमखम दिखाया।
पटौदी ने कायम किया टीम का रसूख
धीरे-धीरे ही सही पर टीम इंडिया में बदलाव का दौर जारी था। 1967 यह वह दौर था जब टीम इंडिया की कमान मंसूर अली खान पटौदी के हाथों में थी और टीम इंडिया ने अपने 105वें टेस्ट मैच भारत से बाहर पहली जीत दर्ज की और न्यूजीलैंड को हराया। इसके बाद अजीत वाडेकर ने टीम इंडिया की कमान संभाली और टीम इंडिया को पहली वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में पहली टेस्ट सीरीजी जीत का स्वाद चखाया। 1971 में भारत ने क्वींस के ओवल, त्रिनिदाद, लंदन में ऐतिहासिक जीत दर्ज की, जिसके बाद से दुनियाभर के टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देशों का भारत को देखने का नजरिया बदल गया था।
गावस्कर पर लगा सुरक्षात्मक कप्तान होने का आरोप
तमाम कप्तान आए और गए लेकिन भारत के महानतम सलामी बल्लेबाज के रूप में जाने जाने वाले सुनील गावस्कर पर यह आरोप हमेशा से लगता रहा कि वह बहुत ही ज्यादा सुरक्षात्मक खेल खेलते हैं। ऐसा कहा जाता था कि ड्रा कराना उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प था। लेकिन गावस्कर के रिकॉर्ड बताते हैं कि वह कितने महान बल्लेबाज थे, उस दौर में 34 टेस्ट शतक बताता है कि उनका क्या दर्जा था। उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 13 टेस्ट शतक लगाए थे जिसे सबसे खतरनाक टीम के तौर पर देखा जाता था।
कपिल देव ले गए टीम इंडिया को नई बुलंदियों पर
लेकिन यह सुरक्षात्मक रवैया जल्द बदला और कपिल देव ने टीम इंडिया की कमान संभाली। कपिल देव ने टीम इंडिया को विश्व विजेता बनाया और भारत को पहली टेस्ट सीरीज जीत दर्ज कराई। इन्ही की अगुवाई में टीम इंडिया ने विदेशी धरती पर पहला टेस्ट भी जीता था।
भारत को दोबारा लॉर्ड्स पर जीत दर्ज करने में लगे 28 साल
1986 में पहली जीत दर्ज करने के बाद टीम इंडिया को लॉर्ड्स में दोबारा जीता हासिल करने के लिए 28 साल का इंतजार करना पड़ा। टीम इंडिया ने 2014 में धोनी की अगुवाई में जीत दर्ज की।
कलाइयों का भी दौर देखा है भारत ने
कई ऐसे खिलाड़ी आए जिन्होंने टीम इंडिया की इस यात्रा को आगे बढ़ाया, इसमें गुंडप्पा विश्वनाथ का नाम सबसे उपर आता है, जिन्होंने अपनी बेहतरीन तकनीक से लोगों को लुभाया, जिसके बाद मोहम्मद अजहरुद्दीन, वीवीएस लक्ष्मण ने कलाईयों का जबरदस्त इस्तेमाल कर अपनी काबिलियत का परिचय दिया।
परंपराओं को तोड़ा सहवाग ने
लेकिन तमाम परंपराओं को वीरेंद्र सहवगा ने 2001 में तोड़ दिया और टीम इंडिया के पहले खिलाड़ी बने जिन्होंने टेस्ट में तिहरा शतक लगाया। उन्होंने दो बार तिहरा शतक लगाया और चार बार दोहरा शतक लगाया, आठ बार 150-199 का स्कोर बनाया।
गेंदबाजों ने भी किया खुद को स्थापित
एक तरफ जहां बल्लेबाज अपना दम दिखा रहे थे तो दूसरी तरफ भारत के कई गेंदबाजों ने भी खुद को स्थापित किया। जिसमें सबसे उपर कपिल देव आते हैं जिनके नाम सर्वाधिक टेस्ट विकेट हासिल करने का रिकॉर्ड है, बतौर तेज गेंदबाज आज भी वह सबसे उपर है।
स्पिन गेंदबाज की कमी को पूरा किया कुंबले ने
टीम इंडिया में दिग्गज स्पिन गेंदबाज की जरूरत थी उसे अनिल कुंबले ने पूरा किया और उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 619 विकेट अपने नाम कर लिए और भारत की ओर से सर्वाधिक टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज बनें।
सचिन ने बदली टेस्ट क्रिकेट की मियाद
लेकिन जब 1989 में सचिन का टीम इंडिया में आगमन हुआ तो किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी जो दौर गावस्कर के साथ खत्म हुआ था वह एक बार फिर से शुरु हो सकता है। लेकिन सचिन ने तमाम रिकॉर्ड अपने नाम करके टेस्ट क्रिकेट की नई इबारत लिखी। सचिन तेंदुलकर के नाम सर्वाधिक टेस्ट रन बनाने का रिकॉर्ड है यह वह दौर था जब टीम इंडिया में सचिन का वर्चस्व था और आने वाले समय में उन्होंने पीढ़ियों को प्रेरित किया। सचिन के नाम सर्वाधिक 51 टेस्ट शतक बनाने का रिकॉर्ड है, इसके अलावा उनके नाम सर्वाधिक 15921 रन बनाने का भी रिकॉर्ड है।
और भी हैं ना भूलने वाले पल
टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया की नई इबारत लिखने वाले खिलाड़ियों का जिक्र हो तो वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ को भुलाया नहीं जा सकता है। 2001 में लक्ष्मण और द्रविड़ ने शानदारी पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया के खौफ को खत्म किया। कुछ ऐसे ही और खास पल जिसमें कुंबले का एक पारी में 10 विकेट, पहले टेस्ट में नरेंद्र हिरवानी का 16 विकेट लेना, 200वें टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर का खेलना अहम है।
कोहली के सामने है चुनौती
बहरहाल अब टीम इंडिया की कमान यंग कप्तान विराट कोहली के हाथों में हैं, जिन्होंने बल्ले से अपना दम दिखाया है, ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि भारत के ऐतिहासिक टेस्ट सफर को वह किसी मुकाम पर लेकर जाते है।