बैंक मैनेजर की मिलीभगत
जानकारी के अनुसार बरोत का बैंक के मैनेजर से मिलीभगत थी, जिनकी मदद से इन कंपनियों के एफडी खाते खोले गए और उन्हें 220 करोड़ रुपए का लोन दिया गया। यह फर्जीवाड़ा उस समय सामने आया जब उन लोगों ने बैंक से संपर्क किया जिन्होंने बैंक में एफडी कराई थी। इसके बाद सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में लिया, जिसके बाद ईडी ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी। सूत्रों की मानें तो ईडी को इस मामले की जानकारी मिलने के बाद जांच शुरू कर दी, जिसके बाद तमाम कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू हुई। जांच में यह भी बात सामने आई कि बरोत ने इन कंपनियों के नाम से बैंक खाते खोले और इन कंपनियों को इस बारे में जानकारी भी नहीं दी, फर्जी दस्तावेजों की मदद से यह खाते खोले गए।
पैसों की हेराफेरी
सूत्रों की मानें तो ईडी को इस बारे में जानकारी मिली कि बरोत ने कोची टस्कर के नाम से 2015 में 6 करोड़ रुपए निवेश किए , इसके अलावा उसने 9 करोड़ व 7 करोड़ रुपए पीजी फॉइल्स और तुलसीदास गोपालजी नाम की कंपनी में निवेश किए। जांच एजेंसी इसकी जांच करना चाहती हैं कि कैसे फर्जीवाड़ा करके फर्जी दस्तावेजों की मदद से पैसों की हेराफेरी की। जांच में यह बात भी सामने आई है कि बरोत ने कई और बैंकों से भी पैसों का लेनदने फर्जी तरीके से किया।
आईपीएल से बाहर हो गई थी कोची की टीम
हालांकि इस पूरे मामले में देना बैंक ने चुप्पी साध रखी है और इसपर कोई सफाई नहीं दी है। आपको बता दें कि कोची टस्कर की टीम 2011 में आईपीएल का हिस्सा थी, इसके बाद इस टीम को बीसीसीआई ने नियमों का उल्लंघन करने की वजह से आईपीएल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, जिसके बाद से कोची की टीम अपनी वापसी की कोशिश कर रही है।