IPL के फाउंडर ललित मोदी को 'बहकाने' के एक मामले में यूके कोर्ट से मिली राहत
नई दिल्ली, 31 मार्च: लंदन में उच्च न्यायालय ने बुधवार को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के संस्थापक ललित मोदी को "बहकाने" के एक मामले में क्लियर कर दिया है। अदालत का कहना है कि मोदी पर इसके लिए एक्शन नहीं लिया जा सकता। ललित मोदी पर ये आरोप पूर्व भारतीय मॉडल से निवेशक बनी गुरप्रीत गिल माग ने कानूनी चुनौती में लगाया था।
बहकाने के मामले ऐसे होते हैं कि आप किसी चीज की सही जानकारी रखने के बावजूद दूसरे व्यक्ति के समक्ष सही तरह से जानकारी को सामने नहीं रखते या फिर अपने फायदे के लिए चीजों को छुपाते हैं। मान लीजिए फिर आपकी बात में आकर आपकी योजना में निवेश कर दिया लेकिन बाद में उसको कुछ और तथ्य भी उजागर हुए जो पहले नहीं पता थे, तो वह मामला बहकाने का हो सकता है, अगर इन छुपे हुए तथ्यों की वजह से निवेशक को नुकसान हो रहा हो तो।
मोदी के ऐसे ही मामले में, चांसरी डिवीजन के एक न्यायाधीश मरे रोसेन क्यूसी ने निष्कर्ष निकाला कि मोदी ने अप्रैल 2018 से पहले दुनिया भर में कैंसर उपचार परियोजना के लिए निवेश सुरक्षित करने के लिए मामलों को गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं किया था।
मोदी पर यह केस गिल के स्वामित्व वाली क्वांटम केयर ने किया था जिसमें पूर्व मॉडल के पति भी शामिल थे।
जज रोसेन के फैसले में कहा गया है, "मैं नहीं मानता कि क्वांटम ने साबित कर दिया है कि श्री मोदी ने चीजों को गलत तरीके से पेश किया है।"
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पिछले महीने एक सुनवाई के दौरान जमा किए गए गवाहों के बयानों और व्हाट्सएप संदेशों का हवाला देते हुए, न्यायाधीश ने विपक्ष के दावे को मानने से इंकार कर दिया।
यह मामला सिंगापुर स्थित भारतीय नागरिक गुरप्रीत गिल माग द्वारा लाया गया था जिसमें कहा गया था कि 13-14 अप्रैल, 2018 को दुबई के एक होटल सुइट में एक बैठक में मोदी द्वारा उनके और उनके स्विस बैंकिंग पेशेवर पति से बातचीत की गई थी। जो चीजें तय हुई थी, वह आगे वैसी नहीं चली।
ललित मोदी को आईपीएल को शुरू करने वाले व्यक्ति के तौर पर देखा जाता है। मोदी अब पता लगाएंगे कि वह 800,000 डॉलर देने के लिए संविदात्मक रूप से बाध्य हैं। उनकी स्थिति यह है कि उन्होंने केवल क्वांटम के पैसे वापस करने की तब पेशकश की है, जब वे कर सकते है। इन पैसों में वे पैसे काट लिए जाएंगे जो मोदी के अनुसार वहन करने में खर्च हो गए।