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Happy Birthday Virender Sehwag: क्रिकेट में खौफ का दूसरा नाम हैं वीरेंद्र सहवाग, दादा ने किया था त्याग

नई दिल्ली। आज भले ही क्रिकेट के पिच से पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग दूर हों लेकिन ना तो वो लोगों के दिल से दूर हुए हैं और ना ही क्रिकेट के जिक्र से। क्रिकेट की कोई भी किताब बिना सहवाग के अधूरी है। आज भारत के इस विस्फोटक और खब्बू बल्लेबाज का 39वां जन्मदिन है। पाकिस्तान के शोएब अख्तर हों या फिर आस्ट्रेलिया के मैकग्राफ...क्रिकेट की दुनिया का कोई भी ऐसा स्टार गेंदबाज नहीं है जिसको कि सहवाग ने धूल ना चटाई हो, ऊपर वाले की खास नेमत वाले इस क्रिकेटर के योगदान को भारत कभी नहीं भूल सकता है।

'आधुनिक क्रिकेट के ज़ेन मास्टर'

'आधुनिक क्रिकेट के ज़ेन मास्टर'

20 अक्टूबर 1978 को जन्में वीरू की छवि विस्फोटक ओपनर के रूप में रही है।'आधुनिक क्रिकेट के 'ज़ेन मास्टर' वीरू को 'नज़फ़गढ़ के नवाब' और 'आधुनिक क्रिकेट के ज़ेन मास्टर' के रूप में भी जाना जाता है।स्पिन गेंदबाज़ी वे दायें हाथ के आक्रामक सलामी बल्लेबाज तो हैं ही किन्तु आवश्यकता के समय दायें हाथ से ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी भी करते थे और भारत के कई नाजुक मौके पर उनका ये गुण काफी काम आया है।

'आधुनिक क्रिकेट के ज़ेन मास्टर'

'आधुनिक क्रिकेट के ज़ेन मास्टर'

सहवाग ने भारत की ओर से पहला एकदिवसीय मैच 1999 में और पहला टेस्ट मैच 2001 में खेला था, वो पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्हें अप्रैल 2009 में'विजडन लीडिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर' खिताब से नवाज़ा गया था। वीरेंद्र सहवाग ने अपना पहला अन्तरराष्ट्रीय मैच 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। वीरू ने सबसे ज्यादा पिटाई पाक बॉलरों की ही की है।

'मुल्तान का सुल्तान'

'मुल्तान का सुल्तान'

भारतीय टीम 2004 में जब पाकिस्तान दौरे पर गई तो सहवाग ने मुल्तान में 309 रन बनाकर भारतीय क्रिकेट में नया इतिहास रचा था। वह टेस्ट मैचों में तिहरा शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने थे। इस पारी में वीरू ने सिर्फ 375 गेंद खेली और 39 चौकों के साथ छह छक्के जड़े। इस तूफानी पारी से उन्हें 'मुल्तान का सुल्तान' नाम से पुकारा जाने लगा। 2008 में चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 319 रन की पारी खेली, जो आज भी भारत की तरफ से टेस्ट मैचों में किसी बल्लेबाज का सर्वाधिक स्कोर है। सहवाग को बेहतरीन योगदान के लिए उन्हें अर्जुन अवार्ड, पद्मश्री, आइसीसी 2010 का सर्वश्रेष्ठ टेस्ट क्रिकेटर खिताब से नवाजा जा चुका है।

'नजफगढ़ का नवाब'

'नजफगढ़ का नवाब'

दिल्ली के नजफगढ़ के रहने वाली वीरू को 'नजफगढ़ का तेंदुलकर' और 'नजफगढ़ का नवाब' कहा जाता है। सहवाग ने अपनी पीढ़ी के अन्य युवाओं की तरह तेंदुलकर जैसा बनने का सपना पाला था। अपने पहले टेस्ट मैच में उन्हें तेंदुलकर के साथ साझेदारी निभाने का मौका मिला, जिसमें इन दोनों ने शतक जमाए थे। सहवाग को सचिन का क्लोन कहलाने का मौका मिला था जिसे कि वो अपनी लाइफ का सबसे खूबसूरत तमगा मानते हैं, हालांकि उन्होंने बाद में अपनी बैटिंग स्टाइल में काफी चेंज किया और खब्बू बल्लेबाज बन गए।

मैं गांगुली के त्याग को कभी नहीं भूल पाऊंगा

मैं गांगुली के त्याग को कभी नहीं भूल पाऊंगा

अपने संन्यास के मौके पर सहवाग ने कहा कि मैं गांगुली के त्याग को कभी नहीं भूल पाऊंगा। टेस्ट में क्रिकेट में मुझे जगह देने में उनका अहम रोल रहा है। मैंने टेस्‍ट क्रिकेट में जो तिहरा शतक जमाया है उसका श्रेय सौरव को जाता है। सहवाग ने कहा कि सौरभ गांगुली ने मुझपर भरोसा किया और अपना स्थान (ओपनिंग) मुझे दिया जबकि वो खुद बेस्ट ओपनर थे। भारतीय टीम का ये पूर्व खिलाड़ी आज भी ट्विटर पर चौकों-छक्कों की बारिश कर रहा है। उनका क्रिकेट में दिए अहम योगदान का भारत हमेशा कर्जदार रहेगा। करीब 15 साल तक पूरी दुनिया को अपने खूबसूरत बैटिंग अंदाज से इंटरटेन करने वाले इस महान खिलाड़ी को हमारी ओर से भी जन्मदिन का बहुत सारी शुभकामनाएं।

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Story first published: Monday, November 13, 2017, 11:20 [IST]
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