माही में दिखता है पिता का अक्स...
सचिन ने आज तक जितने भी कैप्टन के साथ खेला है, उनमें धोनी उनकी नजर में बेस्ट हैं क्योंक उन्हीं की कप्तानी में सचिन का वो सपना पूरा हुआ है जिसे देखते हुए वो बचपन से जवान हुए थे, जी हां बात विश्व कप की हो रही है। सचिन जब भी धोनी को देखते हैं तो उन्हें अपने पिता रमेश तेंदुलकर याद आते हैं, जो कि माही की ही तरह बेहद शांत, गंभीर और कूल रहते थे।
धोनी हर समय शांत रहते हैं
वो सचिन को भी चाहते थे कि उनके जैसा बने लेकिन सचिन उनके जैसे कभी नहीं बन पाए, सचिन अपने पापा के बेहद करीब थे और उन्हीं की वजह से वो आज वहां पहुंच पाए , जहां वो पहुंचना चाहते थे। सचिन ने राजदीप को बताया, जब मैं पहली बार धोनी से मिला तो माही ने मुझे पूरा सम्मान दिया। चाहे सफलता हो या असफलता धोनी हर समय शांत रहते हैं जिस तरह मेरे पिता थे और वो हमें ऐसे देखना चाहते थे।
धोनी और तेंदुलकर का रिश्ता
मालूम हो कि जब सचिन ने संन्यास लेने का ऐलान किया था तो लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि धोनी नहीं चाहते कि अब टीम में सीनियर खिलाड़ी रहें , मीडिया में काफी बातें कहीं और लिखी गईं थी लेकिन सच्चाई कोसों दूर हैं। किताब की बात माने तो धोनी और तेंदुलकर के बीच में एक बहुत ही प्यारा और सम्मान का रिश्ता है और दोनों एक दूसरे की काफी इज्जत करते हैं। सचिन की ये बात सुनकर तो शायद धोनी भी आज अपने ऊपर इतरा रहे होंगे।
पिता रमेश तेंदुलकर का आकस्मिक निधन
सचिन को चाहने वाले कभी उस दिन को नहीं भूल सकते जिस वक्त सचिन के पिता दुनिया छोड़कर चले गए। बात 1999 विश्वकप की है, जब तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर का आकस्मिक निधन हो गया। सचिन जिंबाब्वे के खिलाफ मैच से पहले मुंबई वापस लौटे। सचिन की गैरमौजूदगी में टीम इंडिया वो मैच हार गई और विश्वकप में सुपर सिक्स में जगह बना पाना टीम इंडिया के लिए मुश्किल दिखाई देने लगा। इसके बाद जब सचिन कीनिया के खिलाफ मैच के लिए वापस इंग्लैंड पहुंचे और शतक जड़कर टीम इंडिया को जीत दिलाई।
आसमान की ओर सिर उठाया
आज भी वो पल लोगों की आंखों में कैद है जब कीनिया के खिलाफ सैकड़ा जड़ते हुए तेंदुलकर ने ऊपर आसमान की ओर सिर उठाया और बल्ला ऊपर किया, वो शतक उन्होंने अपने पापा को समर्पित किया था और तबसे हर बार जब-जब सचिन ने अर्धशतक और शतक बनाए, आसमान की तरफ सिर उठाकर अपने पापा को याद किया।