नई दिल्ली। बीसीसीआई के खिलाफ पीसीबी को मुआवजा मांगना महंगा पड़ा है। बीसीसीआई पर पीसीबी ने आरोप लगाया था कि उसने 2015 से लेकर 2023 के बीच द्विपक्षीय सीरीज के लिए जो एमओयू साइन किया था, उसका उसने सम्मान नहीं किया है, लिहाजा उसे इस एमओयू को तोड़ने के लिए बीसीसीआई को मुआवजा देना पड़ेगा। लेकिन पाकिस्तान को उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब पीसीबी के पूर्व अध्यक्ष शहरयार खान ने कहा कि इस मामले में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का पक्ष कमजोर हैं, लिहाजा इस बात की संभावना कम है कि पीसीबी को मुआवजा मिले।
7 करोड़ डॉलर का मांगा मुआवजा
शहरयार खान ने कहा कि पाकिस्तान बोर्ड का इस मामले में पक्ष कमजोर है, दोनों देशों के बीच साइन किया गया एमओयू सीरीज को सरकार द्वारा अनुमति मिलने पर ही लागू होता है। बीसीसीआई लंबे समय से कहता आ रहा है कि वह तबतक पाकिस्तान के साथ नहीं खेल सकता है जबतक उसे सरकार से इजाजत नहीं मिलती है। आपको बता दें कि बीसीसीआई से पीसीबी ने 7 करोड़ डॉलर का मुआवजा मांगा था। साथ ही पीसीबी ने इस मामले में कानूनी लड़ाई के लिए 10 लाख डॉलर भी स्वीकृत किए थे। लेकिन जिस तरह से शहरयार खान ने अपना बयान दिया है उसके बाद पीसीबी की किरकिरी होती नजर आ रही है, हालांकि बोर्ड ने शहरयार पर दबाव बनाया है कि वह अपना बयान वापस लें। पीसीबी के अध्यक्ष नजम सेटी ने ट्वीट के जरिए कहा है कि उन्हें कभी नहीं लगता है कि भारत के खिलाफ उनका पक्ष कमजोर है।
शहरयार खान की हुई किरकिरी
एक बयान जारी करके शहरयार खान ने कहा कि मैंने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया है, मैं कैसे कह सकता हूं पीसीबी का पक्ष कमजोर है, मीडिया मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है, वह पीसीबी की स्थिति को भी कमजोर कर रहा है। लेकिन शहरयार खान को उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब टीवी चैनल्स पर उनके बयान वीडियो जारी कर दिया गया, इसे सोशल मीडिया पर भी डाल दिया गया।
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