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तो क्या टीम इंडिया में 'कुंबले' बन गए थे 'मोहब्बतें' वाले नारायण शंकर?

नई दिल्ली। मंगलवार को भारतीय क्रिकेट को उस समय बड़ा झटका लगा, जिस वक्त टीम इंडिया के हेडकोच अनिल कुंबले ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

कुंबले के इस्तीफे पर गावस्कर ने कहा, 'वह खिलाड़ियों की मनमर्जी चलाने वाले कोच नहीं थे'कुंबले के इस्तीफे पर गावस्कर ने कहा, 'वह खिलाड़ियों की मनमर्जी चलाने वाले कोच नहीं थे'

अभी लोग इस सदमे से उबर पाते कि कुंबले ने मीडिया में बयान देते हुए स्वीकार किया कि बीसीसीआई ने उनको पहली बार मंगलवार को बताया कि कैप्टन विराट कोहली को उनके तौर-तरीकों पर आपत्ति है और वो नहीं चाहते कि मैं आगे हेड कोच के तौर पर काम करूं।

कोहली को आपत्तियां हैं

कोहली को आपत्तियां हैं

कैप्टन की जो आपत्तियां हैं, उनको देखते हुए यह बेस्ट रहेगा कि मैं यह जिम्मेदारी उनको सौंप दूं जिसे बीसीसीआई और सीएसी हेड कोच पद के योग्य समझे।

सारे कयास सही साबित हुए

सारे कयास सही साबित हुए

कुंबले के इस बयान के बाद वो सारी बातें सही साबित हो गईं, जो कि पिछले काफी वक्त से मीडिया में चल रही थीं।

 विराट कोहली को नागवार गुजरी

विराट कोहली को नागवार गुजरी

मीडिया सूत्रों की माने तो कुंबले बतौर कोच काफी कड़े थे और उन्होंने कुछ नियम टीम के लिए बना रखे थे, जिनका पालन वो सख्ती से चाहते थे और ये ही बात टीम के कप्तान विराट कोहली को नागवार गुजरी, जो धीरे-धीरे विवाद के रूप में ढल गई।

'मोहब्बतें' के नारायण शंकर

'मोहब्बतें' के नारायण शंकर

आदित्य चोपड़ा की हिट फिल्म 'मोहब्बतें' के नारायण शंकर (अमिताभबच्चन) के गुरूकुल की तरह कुंबले ने टीम इंडिया के लिए जो रूल्स बनाए थे उन्हें टीम सह नहीं पाई और इसी वजह से आज कुंबले को कोच पद से इस्तीफा देना पड़ा।

क्या थे वो नियम...

क्या थे वो नियम...

  • अनुशासन: कुंबले खुद जीवन में काफी कड़े अनुशासन के साथ चले हैं और यही उनकी सफलता का राज है, जो उन्होंने टीम के साथ भी करनी चाही बिल्कुल गुरूकुल के नारायण शंकर की तरह, जो शायद कोहली की नाराजगी की मुख्य वजह बना।
फिटनेस

फिटनेस

टीम इंडिया के नारायण शंकर यानी कुंबले के गुरूकुल में फिटनेस बहुत मायने रखती थी, कुंबले ने नियम बनाया था कि कोई भी खिलाड़ी चोट या किसी अन्य कारण से टीम से बाहर जाएगा तो उसे पहले खुद को फिटनेस और फॉर्म साबित करनी होगी, तभी उसे टीम में वापसी मिलेगी। ये भी टीम के लिए एक सख्त नियम था।

फोकस खेल पर

फोकस खेल पर

कुंबले देश के ही नहीं बल्कि विश्व के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक रहे हैं, जिन्होंने ईमानदारी से इज्जत कमाई है, उनके लिए खेल के वक्त केवल खेल ही महत्व रखता था और इसी बात की आशा उन्होंने टीम के सदस्यों से भी की थी, विदेशी दौरों पर परिवार के साथ जाना, घूमना, शॉपिंग करना कुंबले की च्वाइस नहीं रही और ऐसा ही वो कोहली एंड कंपनी से भी चाहते थे, जो कि हो ना पाया।

Story first published: Monday, November 13, 2017, 11:18 [IST]
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