नई दिल्ली। महेंद्र सिंह धोनी के ऊपर अक्सर सीनियर खिलाड़ियों के साथ अच्छा व्यवहार ना करने या फिर उन्हें टीम से आउट कराने का आरोप लगता रहा है। सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, गौतम गंभीर, युवराज सिंह, हरभजन सिंह तमाम ऐसे उदाहरण हैं जिनके टीम से बाहर होने पर यही कहा गया कि धोनी अपनी टीम में इन्हें नहीं चाहते थे।
कप्तानी छोड़ने के बाद पहली बार धोनी ने कहा, अलग-अलग कप्तानी टीम इंडिया के लिए फिट नहीं
हालांकि ये बातें मीडिया में आईं और सुर्खियां बटो़कर गायब हो गईं लेकिन कभी सत्यापित नहीं हुईं लेकिन लंबे अरसे बाद किसी बहुत बड़े खिलाड़ी ने इन सारी बातों के उलट एक बड़ा बयान दिया है कि धोनी उन नायाब खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने सीनियर खिलाड़ियों को बखूबी संभाला, उनके साथ बढ़िया तारतम्य बैठाया और टीम को विश्वविजेता बनाया।
धोनी ने सीनियर खिलाड़ियों को बखूबी संभाला
और इस महान खिलाड़ी का नाम है टीम इंडिया के कोच अनिल कुंबले, जिन्होंने कहा कि धोनी का बतौर कप्तान कैरियर शानदार रहा है लेकिन उनकी कप्तानी के दौरान सबसे अहम बात में से एक यह रही कि उन्होंने टीम में सीनियर खिलाड़ियों को बखूबी संभाला।
महान लेग स्पिनर ने 2008 में कप्तानी छोड़ी थी
आपको बता दें कि धोनी कुंबले के बाद टेस्ट कप्तान बने थे, इस महान लेग स्पिनर ने 2008 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू श्रृंखला के बीच में संन्यास लेने की घोषणा की थी, जिसके बाद टीम की कमान माही के हाथ में आई थी।
2007 से 2017 तक, कप्तानी के 10 शानदार साल
कुंबले ने कहा कि साल 2007 से 2017 तक, कप्तानी के 10 शानदार साल, इससे महेंद्र सिंह धोनी की बतौर कप्तान काबलियत दिखी, धोनी ने ना केवल टीम के सीनियर खिलाड़ियों को इज्जत दीं बल्कि उनके साथ बेहतर तालमेल को बिठाकर टीम इंडिया को नई ऊंचाई दी थी।
धोनी ने बिल्कुल सही वक्त पर कप्तानी से संन्यास लिया
टीम के लिये भी यह सर्वश्रेष्ठ रहा, मुझे लगता है कि धोनी ने बिल्कुल सही वक्त पर कप्तानी से संन्यास लिया है।