नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) सुशीला जी को चेन्नई में लोग बहुत आदर के साथ देखते थे। उन्होंने देश को एक वर्ल्ड चैंपियन दिया। उसे लगातार जीतने के लिए प्रेरित किया। अपने पुत्र को कभी हार से हत्तोसाहित न होने की सीख दी। बात हो रही है सुशीला विश्वनाथन की। उनका बुधवार को चेन्नई में निधन हो गया। वो पूर्व विश्व शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद की मां थीं।
मां को क्रेडिट
देश में शतरंज के जानकारों का कहना है कि अगर विश्वनाथन आनंद ने बुलंदियों को छुआ तो इसका क्रेडिट उनकी मां को जाता है। वो ही अपने बेटे को चेन्नई के अलग-अलग शतरंज क्लबों में लेकर जाती थीं ताकि उनका पुत्र शतरंज में महारत हासिल करे। जाहिर है कि मां की मेहनत रंग लाई। विश्वनाथन आनंद विश्व चैंपियन रहे। वे अपने पुत्र को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही। वे हमेशा उन्हें जीवन और मीडिया से दूर रहने के लिए कहती रही।
सादा जीवन
नतीजा ये हुआ कि विश्वनाथन आनंद वर्ल्ड चैपंयन बनने के बाद भी सादा जीवन ही जीना पसंद करते रहे। वे मीडिया को बार-बार इंटरव्यू देने से बचते रहे। वे अपनी बड़ी गाड़ियों के साथ फोटो देने से बचते रहे। यानी उनके पैर जमीन पर ही रहे।
सुलझी हुई पर्सनेल्टी
राजधानी के खेल पत्रकार हरीश यादव कहते हैं कि विश्वनाथन की बेहद सुलझी हुई पर्सनेल्टी को बनाने में उनकी मां का योगदान रहा। उन्होंने अपने पुत्र में बेहद उत्तम संस्कार डाले। इसके चलते विश्वनाथन आनंद कभी विवादों में नहीं फंसे। वे हमेशा साफ-सुथरा जीवन जीते रहे। उनकी पूरी शख्सियत में उनकी मां की झलक देखने को मिलती है।