घाघरा से बढ़ीं सीतापुर वासियों की मुसीबतें, बाढ़ के बीच भूखे पेट सोने को मजबूर हैं लोग
सीतापुर। उत्तर प्रदेश में नेपाल के नजदीकी जिले सीतापुर में दिनों नदियों में आई बाढ़ से आमजन की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। यहां रामपुर मथुरा विकासखंड को घाघरा नदी से बहुत नुकसान हो रहा है। सरकार द्वारा अरबों रुपये खर्च कर बनाये बांधों से घाघरा में छोड़े जा रहे लाखों क्यूसेक पानी की धार के आगे सभी इंतजाम बौने साबित हो रहे हैं।
घाघरा की तेज जलधारा से बढ़ी मुसीबत
घाघरा की विनाश लीला से ग्रामीणों को बचाने के लिए कच्चे बंधे का निर्माण करीब 45 करोड़ की लागत से युद्ध स्तर पर किया गया, परन्तु घाघरा की तेज जलधारा ने सब झकझोर डाला है। नदी के तलहटी में बसे गांव में रहने वाले ग्रामीणों की सांसें फूल रही हैं। ग्रामीणों को बाढ़ से बचाने के लिए शासन-प्रशासन ने कमर तो कसी है, परन्तु बेबस है।
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बाढ़ से तबाह गांववाले दूसरी जगहों को निकले
रामपुर-मथुरा विकासखंड के गांवों में घाघरा का पानी घुसा चला आ रहा है। बीते दिनों ही नोडल अधिकारी बाढ़ क्षेत्र का दौरा करने गई थी और उनका दावा था कि क्षेत्र में अगर 5 लाख क्यूसेक पानी भी नदी में छोड़ दिया जाए, तब भी सभी गांव सुरक्षित रहेंगे। लेकिन आज आई इन तस्वीरों ने जमीनी हकीकत की पोल खोल दी है। रामपुर मथुरा के अरोरा गांव में चारों तरफ पानी भर गया है व ग्रामीण काफी दहशत में हैं। ग्रामीणों की मानें तो बीते दिनों से वह अपने घरों में नहीं जा पा रहे हैं। अपने कच्चे घर को उजाड़ कर दूसरी जगह विस्थापित होने का प्रयास कर रहे हैं।
भूखे सोने को मजबूर कई परिवार
कई-कई दिनों से भोजन न मिल पाने के कारण ग्रामीण भूखे भी सोने को मजबूर हैं। अब वह अपना गांव छोड़ ऊंचाई वाली जगहों पर छप्पर, पल्ली तानकर रहने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि शासन प्रशासन के द्वारा किए जा रहे दावे क्या हवा-हवाई ही हैं।