वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की सुनवाई से जस्टिस एएम सप्रे ने खुद को किया अलग
Shimla news, शिमला। कांग्रेस नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को एक बार फिर अपने खिलाफ चल रहे मनी लॉड्रिंग के मामले में राहत मिली है। मामला सुप्रीम कोर्ट का है, जहां वीरभद्र सिंह के खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई तय थी लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। लेकिन कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के खिलाफ मनी लॉड्रिंग मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एएम सप्रे ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। पिछले लंबे समय से वीरभद्र सिंह के खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई किसी न किसी वजह से टलती जा रही है। अब मामले की सुनवाई अगली बेंच तय होने के बाद ही होगी। जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता वाली पीठ के मुताबिक मामले की सुनवाई के लिए उपयुक्त खंडपीठ के गठन के लिए मामला चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाना है।
संबंधित मामले में पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने वीरभद्र व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह सहित अन्य के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से दस करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जमा करने के लिए आरोप तय करने का आदेश दिया था। सीबीआई द्वारा दर्ज मामले का संज्ञान लेते हुए ईडी ने भी वीरभद्र सिंह के खिलाफ मनी लॉड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
वीरभद्र
सिंह
के
खिलाफ
आय
से
अधिक
संपत्ति
मामले
में
कब
क्या
हुआ?
2009
से
2012
तक
केंद्रीय
इस्पात
मंत्री
रहते
हुए
वीरभद्र
सिंह
पर
आरोप
लगा
कि
उन्होंने
छह
करोड़
से
अधिक
संपत्ति
आय
से
अधिक
संपत्ति
है।
इसी
संपत्ति
में
से
वीरभद्र
सिंह
ने
करीब
पांच
करोड़
की
रकम
एलआईसी
में
निवेश
की।
इस
आरोप
के
बाद
उन्हें
मंत्री
पद
छोडऩा
पड़ा
और
राज्य
की
राजनीति
में
वापस
आए
और
2012
में
हिमाचल
प्रदेश
के
शिमला
ग्रामीण
से
चुनाव
जीतकर
विधायक
व
मुख्यमंत्री
बने।
2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई ने फिर से जांच शुरू की और उनके शिमला स्थित 11 ठिकानों पर 26 अक्टूबर 2015 में छापेमारी की। इससे पहले 23 अक्टूबर को सीबीआई ने इसी मामले में एफआईआर दर्ज की थी। 2015 दिसंबर में वीरभद्र सिंह हिमाचल हाईकोर्ट पहुंचे और आग्रह किया कि सीबीआई उन्हें गिरफ्तार न करे। इसके बाद वीरभद्र सिंह के खिलाफ ईडी ने मंनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।
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