हिमाचल की पंचायत ने पर्यावरण बचाने के लिए अनूठा कदम उठाया, लोग कर रहे तारीफ
शिमला। विकास की अंधी दौड़ में जहां पर्यावरण को लेकर विश्व भर में चिंता का महौल है। वहीं हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन की एक पंचायत ने पर्यावरण संरक्षण के लिये अनूठा कदम उठाते हुये एक नजीर पेश की है। पंचायत के इस फैसले की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है।
सोलन जिला के झाड़माजरी इलाके की भटोलीकलां पंचायत ने बुलाई गई विशेष ग्रामसभा में फैसला लिया है कि पंचायत में बच्चे के जन्म के बाद परिवार के सदस्यों को एक पौधारोपण करना होगा। उसके बाद वार्ड सदस्य रोपे पौधे का मुआयना करेंगे और उसी के बाद ही पंचायत के रजिस्टर में बच्चे का नाम दर्ज होगा। जो लोग समय पर पौधा नहीं रोपेंगे उन्हें इसके लिए प्रेरित भी किया जाएगा। माना जा रहा है कि ऐसा अनूठा फैसला लेने वाली यह देश की पहली पंचायत है।
कानूनी तौर पर जन्म एवं मृत्यु को पंचायत में दर्ज कराना जरूरी है। पंचायत ने विशेष ग्राम सभा बीपीएल परिवारों के चयन के लिये बुलाई थी, लेकिन मौजूदा लोगों ने जब पर्यावरण पर चिंता जताई तो पंचायत प्रधान ने यह प्रस्ताव सुझाया। जिसे मान लिया गया।
दरअसल, जन्म लेने वाले बच्चे का नाम अगर सही समय पर दर्ज न हो तो उसको लेकर बाद में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि पंचायत के इस फैसले को लोगों का समर्थन भी मिल रहा है। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब सरकारी एजेंसियां पौधारोपण पर करोड़ों रुपये फूंकने के बावजूद पर्यावरण संरक्षण में कोई ठोस कामयाबी हासिल नहीं कर पा रही है।
भटोलीकलां पंचायत प्रधान सोनू देवी ने बताया कि बीपीएल परिवारों को लेकर ग्रामसभा रखी थी। इसमें निर्णय लिया कि पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को खत्म करने के लिए पंचायत में जो भी बच्चा पैदा होगा, उसका नाम पंचायत रजिस्टर में तभी दर्ज किया जाएगा जब परिवार बच्चे के नाम पर एक पौधा लगाएगा। उसकी रिपोर्ट पंचायत में आएगी तो तुरंत शिशु का नाम दर्ज कर दिया जाएगा। हालांकि, यह निर्णय लोगों पर जबरन थोपा नहीं जाएगा, इसमें लोगों से सहयोग मांगा जाएगा और उन्हें जागरूक किया जाएगा।
सोलन जिला में बद्दी बरोटीवाला झाड़माजरी आद्दयोगिक क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। एनजीटी ने हिमाचल के सोलन जिला के बद्दी, नालागढ़, परवाणू, कांगड़ा जिला के डमटाल, सिरमौर के कालाअंब, पांवटा साहिब, मंडी के सुंदरनगर व ऊना जिले के औद्योगिक क्षेत्रों को सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची में रखा है। ऐसे में पर्यावरण को बचाने के लिए छेड़ी मुहिम की सराहना होने लगी हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि पंचायत ने लोगों को पर्यावरण संरक्षण और पौधरोपण के प्रति जागरूक करने के लिए पंचायत ने सराहनीय फैसला लिया है।