मिलिए शिमला की पहली महिला टैक्सी चालक मीनाक्षी नेगी से, स्टेयरिंग थामने की इनकी कहानी है दिलचस्प
शिमला, 21 जनवरी: आधी आबादी का पूरा सच है कि यह कोमल पर कमजोर नहीं है। बुलंद हौसले इनके पास भी हैं। इस बात का ताजा उदाहरण है हिमाचल की बेटी मीनाक्षी। यह वो महिला है जो हिमाचल की वादियों में टैक्सी चलाती है। मीनाक्षी के हुनर और जज्बे का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कोरोना महामारी के सामने भी इन्होंने घुटने नहीं टेके, बल्कि आपदा को अवसर में बदल डाला।
शिमला की पहली ग्रेजुएट टैक्सी चालक हैं मीनाक्षी नेगी
शिमला के लोअर पंथाघाटी के दोची में रहने वाली मीनाक्षी नेगी शिमला की पहली ग्रेजुएट टैक्सी चालक हैं। मीनाक्षी की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी 12वीं में पढ़ती है, जबकि छोटी बेटी अभी 8वीं में है। कोरोना काल में जब पूरे देश के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया, मीनाक्षी के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो गईं। मीनाक्षी ने घुटने नहीं टेके और मुश्किलों के सामने डटकर खड़ी हो गईं।
आर्थिक संकट के बीच मीनाक्षी ने थामा टैक्सी का स्टेयरिंग
आर्थिक संकट के बीच मीनाक्षी ने टैक्सी का स्टेयरिंग थाम लिया और अपनी बेटियों की पढ़ाई अच्छे स्कूल में करवाई। धीरे-धीरे आर्थिक संकट का दौर निकल गया, पर मीनाक्षी अब भी गर्व के साथ शिमला में टैक्सी चला रही हैं। एक खबर के मुताबिक, मीनाक्षी ने बताया कि वह चार सालों से गाड़ी चला रही हैं। पहले अपनी ऑल्टो कार में बेटियों को स्कूल छोड़ने जाती थी। उन्हें देख पड़ोसियों ने आग्रह किया कि उनके बच्चों को भी स्कूल छोड़ दिया करो, तुम्हारे साथ बच्चे सुरक्षित रहेंगे। मीनाक्षी ने बताया कि इसी तरह धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती गई, इसपर उन्होंने बड़ी गाड़ी खरीद ली। गाड़ी खरीद कर 10 ही दिन हुए थे कि स्कूल बंद हो गए।
महिला होने की वजह से शुरू में हुई दिक्कत
मीनाक्षी ने किश्तों पर गाड़ी खरीदी थी, लिहाजा किश्तें भी भरना था। इसलिए उन्होंने गाड़ी को टैक्सी के रूप में चलाना शुरू कर दिया। मीनाक्षी बताती हैं कि महिला होने की वजह से शुरुआत में अन्य टैक्सी संचालकों ने स्वीकार नहीं किया। उन्हें लोगों की बातें भी सुननी पड़ी, लेकिन अब स्थितियां सुधर गई हैं। उन्होंने बताया कि दूसरे टैक्सी ड्राइवर भी सहयोग करने लगे हैं। मीनाक्षी अब शिमला के अंदर ही नहीं बल्कि चंडीगढ़ और दिल्ली के भी चक्कर लगा आती हैं। मीनाक्षी का कहना है कि हिमाचल में महिलाएं सुरक्षित हैं इसलिए रात में भी टैक्सी चलाने में डर नहीं लगता। लिफ्ट के पास से देर शाम तक सवारियां उठाती हूं। लोग अपने परिवारों को लाने ले जाने के लिए फोन कर बुलाते हैं।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने को तैयार हैं मीनाक्षी
मीनाक्षी बताती हैं कि वह सुबह 9 बजे टैक्सी लेकर घर से निकलती हैं और रात आठ बजे के बाद घर लौटती हैं। बुकिंग हो तो सुबह 5 से रात 12 बजे तक भी गाड़ी चला लेती हैं। मीनाक्षी अब इस पेशे में आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनना चाहें तो मैं मदद करने को तैयार हूं। बता दें, कई महिलाओं ने मीनाक्षी से टैक्सी चलाने के लिए संपर्क किया। उन्होंने कहा कि अगर कोई महिला टैक्सी चलाना चाहती है तो मैं गाड़ी फाइनेंस करने में मदद करने को तैयार हूं। टैक्सी चला कर गाड़ी की किस्त, खर्चे निकालो और अपनी कमाई भी करो।
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