हिमाचल के जवान जितेंद्र कुमार को मरणोपरांत मिलेगा संयुक्त राष्ट्र का सम्मान
Shimla news, शिमला। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के तौर पर भी जाना जाता है। यहां के युवा सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रहे हैं। कई युवा देश सेवा में अपन्र प्राण त्याग कर नया इतिहास रचते चले गये हैं, जो आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में तैनात जितेंद्र कुमार को उनकी सराहनीय सेवाओं के लिए मरणोपरांत संयुक्त राष्ट्र के महासचिव सम्मान देंगे।
29 मई को किया जाएगा सम्मानित
भारत तिब्बत सीमा पुलिस के कांस्टेबल जितेंद्र कुमार संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। जितेंद्र कुमार को मरणोपरांत नौ महीने के बाद गैड हरमसोलड़ मेडल से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 29 मई को अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति दिवस पर साहसिक कार्य के लिए दिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत सैयद अकबरुद्दीन जितेंद्र की जगह इस मेडल को हासिल करेंगे। वर्ष 2002 से संयुक्त राष्ट्र पीसकीपिंग अवॉर्ड दिवस उन सैनिकों की याद में मनाया जाता है। जो युनाइटेड नेशन पीसकीपिंग फोर्स की सर्विस के दरमियान शहीद होते हैं।
119 लोगों को किया जाएगा सम्मानित
70 सालों में अब तक भारतीय शांति सेना के 163 सैनिक शहीद हो चुके है। इस साल सेना, पुलिस व सिविलियन के करीब 119 लोगों को इस मैडल से सम्मानित किया जाएग। जितेंद्र भारत के एकमात्र ऐसे सैनिक है जिन्हें इस साल यह सम्मान दिया जाना है। युनाइटेड नेशन पीस कीपिंग फोर्स के महासचिव एंटोनियो गूटेर्रेस उन सभी लोगों को यह मेडल प्रदान करेंगे। जितेंद्र चंबा जिले के उत्यानु गांव के रहने वाले थे और वह आईटीबीपी में बतौर कांस्टेबल तैनात थे। वह साउथ अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना मैं शामिल थे। जितेंद्र कांगो में भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में तैनात थे। बीते अगस्त महीने में उनका निधान हो गया था। वह अपने पीछे पत्नी व तीन साल के बेटे को छोड़ गए हैं।
पिता को है गर्व, पत्नी ने कही ये बात
जितेंद्र के पिता कृषि विभाग में कार्यरत हैं। जितेंद्र कुमार के पिता ईश्वरी प्रसाद शर्मा ने बताया कि उन्हें बहुत गर्व है कि उनका बेटा सेना में कार्य करता था और उसे यह सम्मान मिल रहा है। उन्होंने बताया कि उनका बेटा बहुत ही होनहार व मेहनती था। वह जब भी घर आता था तो घर के सभी कार्य खुद ही करता था। उन्हें किसी चीज की चिंता नहीं होती थी। उन्हें इस सम्मान को लेकर खुशी तो हो रही है, लेकिन उन्हें अपना बेटा खोने का काफी गम है। जितेंद्र की पत्नी अनिता ने बताया कि वह चाहती हैं कि उनका बेटा भी अपने पिता की तरह सेना में भर्ती होकर देश सेवा करे।