हिमाचल में 8 हजार फीट ऊंचाई पर बनेगी 65 फीट ऊंची शिव प्रतिमा, उत्तराखंड से भी आएगी नजर
शिमला। समुद्र तल से 8 हजार फीट की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश में 65 फीट ऊंची शिव प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। इस प्रतिमा के दर्शन उत्तराखंड के भी कई गांवों से हो सकेंगे। मां भंगायणी मंदिर सेवा समिति हरिपुरधार व मंदिर के बीच यह प्रतिमा टिबा नामक स्थान पर बनवाई जा रही है। प्रतिमा का निर्माण तमिलनाडु के कारीगर कर रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, इस प्रतिमा की लागत 20 से 25 लाख रुपए आएगी। बता दें कि, हरिपुरधार शहर एक ऊंची घाटी पर स्थित है, जहां से एक गहरी घाटी दिखाई देती है। यह शहर समुद्र तल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर है। पहले इसे 'डुंगभंगयानी' के नाम से जाना जाता था। यह सिरमौर की ग्रीष्मकालीन राजधानी कहलाती थी।
आस्था
के
साथ
ही
पर्यटन
को
मिलेगा
बढ़ावा
संवाददाता
के
अनुसार,
सिरमौर
और
शिमला
जिले
के
प्रसिद्ध
शिरगुल
महाराज
मंदिर
चूड़धार
से
भी
65
फीट
ऊंची
शिव
प्रतिमा
प्रतिमा
नजर
आ
सकेगी।
सिरमौर
जिले
के
जमटा,
सराह,
नैनाटिक्कर,
नैनीधार,
चांदपुर
व
गाताधार
से
लोग
इसे
निहार
सकेंगे।
इसके
अलावा
शिमला
जिले
के
कुपवी
व
देईया
व
पड़ोसी
राज्य
उत्तराखंड
के
दर्जनों
गांव
से
प्रतिमा
साफ
तौर
पर
देखा
जा
सकेगा।
भगवान
शिव
की
इस
प्रतिमा
के
बनने
से
जहां
क्षेत्र
की
धार्मिक
रूप
से
एक
अलग
पहचान
बनेगी,
वहीं
इससे
पर्यटन
को
भी
बढ़ावा
मिलेगा।
यहां
7500
फुट
ऊंचाई
पर
स्थित
भंगयाणी
माता
मंदिर
हरिपुरधार
में
माता
भंगयणी
का
प्रसिद्ध
मंदिर
स्थित
है।
यह
7500
फुट
ऊंचाई
पर
है।
मान्यता
हैं
कि
भंगयाणी
माता
ने
श्रीगुल
देवता
को
दिल्ली
जेल
से
मुक्त
कराया
था।
भंगयाणी
माता
भगवान
शिव
के
अवतार
शिरगुल
जी
महाराज
की
मुंह
बोली
बहन
हैं।
ऐसा
माना
जाता
है
कि
जब
शिरगुल
जी
महाराज
दिल्ली
गए
थे,
तो
उनकी
ख्याति
देखकर
मुगल
शासक
ने
उन्हें
चमड़े
की
जंजीरों
में
बंदी
बना
लिया
था।
चाहकर
भी
भगवान
शिरगुल
चमड़े
की
जंजीर
नहीं
तोड़
सकते
थे।
तब
भंगयाणी
माता
ने
मुक्त
कराया।