दलित महिला का अंतिम संस्कार गांव के श्मशान में करने से दबंगों ने रोका, जंगल में जली चिता
Shimla news, शिमला। हिमाचल प्रदेश के एक दलित परिवार को दबंगों ने श्मशान घाट पर दलित महिला का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया। मजबूर होकर दलित परिवार ने साथ लगते जंगल में मृतक महिला की अंत्येष्टि की। इस मामले के उजागर होने से एक बार फिर कुल्लू में बढ़ती जा रही जातीय भेदभाव की वारदातों पर सवाल उठने लगे हैं।
संवेदनहीन समाज का यह अमानीवय चेहरा हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में देखने को मिला। जातीय भेदभाव के मामले कुल्लू में लगातार देखने को मिल रहे हैं। हालांकि सरकारी स्तर पर जातीय भेदभाव मिटाने के दावे भी समय समय पर होते रहे हैं। दरअसल, कुल्लू जिला के मनाली चुनाव क्षेत्र के फोजल इलाके के धारा गांव में एक दलित परिवार को उस समय पेचीदा हालात से गुजरना पड़ा, जब उस परिवार की एक महिला की मौत के बाद दलित परिवार महिला को अंतिम संस्कार के लिये श्मशान घाट ले गया। लेकिन इलाके के ऊंची जाति के लोगों ने इसका विरोध किया और मृतक महिला का अंतिम संस्कार उस श्मशान घाट पर नहीं होने दिया। छुआछूत का हवाला दिया गया और बाद में दलित समाज ने महिला का अंतिम संस्कार साथ लगते जंगल में नाले में किया।
स्थानीय नागरिक केहर सिंह, मेहर चंद, शिव राम और तापे राम ने बताया कि हुरंग पंचायत ने श्मशानघाट सभी लोगों की सुविधा के लिए बनाया था। श्मशान घाट में चिता जलाने के नाम पर छुआछूत करना सवर्ण समाज के लोगों मानसिकता को जताता है। पंचायत प्रधान आशा देवी ने बताया कि मैंने गांव के लोगों को बोला था कि श्मशान घाट सार्वजनिक जगह है। इसे लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्मशान घाट पूरी तरह से तैयार नहीं है। अब तक यहां पर भटठी नहीं लगी है, जिससे किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि कुल्लू में जातिगत भेदभाव के मामले लगातार सामने आ रहे है। बीते साल दुर्गम पंचायत शिल्ही राजगिरी के चेष्टा हाई स्कूल में जातीय भेदभाव का मामला सामने आया था। मिड-डे मील का परोसने के दौरान अनुसूचित जाति के बच्चों के साथ भेदभाव किया गया था। इसके अलावा, एक कार्यक्रम के दौरान दलित युवक पर देवता का फूल गिरने पर उसकी पिटाई कर दी गई थी।