पिता सुखराम, बेटे आश्रय के कांग्रेस में जाने के बाद कैबिनेट मंत्री अनिल शर्मा के खिलाफ क्या एक्शन लेगी भाजपा?
शिमला। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र मंडी की सियासत में पंडित सुखराम की वापसी के साथ ही खलबली मच गई है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की भी मुसीबतें बढ़ने लगी हैं। एक ओर उन्हें अब भाजपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करनी होगी तो दूसरी अपने मंत्री अनिल शर्मा का भी भविष्य भी तय करना है। भाजपा का एक बड़ा वर्ग अनिल शर्मा को कैबिनेट से हटाने को लेकर सीएम पर दबाव बना रहा है। हालांकि, फिलवक्त भाजपा ने कैबिनेट से जाने का फैसला अनिल शर्मा पर छोड़ा है। वहीं, अनिल शर्मा ने कहा है कि उनसे इस्तीफा मांगा जाता है तो वह दे देंगे।
अनिल शर्मा को हटाने से गलत संदेश जायेगा
भाजपा को लगता है कि अनिल शर्मा को इस समय हटाने के बजाए वह खुद ही त्यागपत्र दे दें तो बेहतर रहेगा ताकि पार्टी के लिये फिर कोई मुसीबत खड़ी न हो। पार्टी को लगता है कि इस समय अनिल शर्मा को हटाया गया तो उसका गलत संदेश जायेगा। यही वजह है कि अनिल शर्मा को विरोध के बावजूद भाजपा हटा नहीं पा रही। ताजा घटनाक्रम के बाद खुद मुख्यमंत्री बीते दिन से मंडी में ही डटे हैं। सूत्र बताते हैं कि भाजपा अभी जल्दबाजी में फैसला लेने के लिये यह देखना चाह रही है कि आश्रय शर्मा को कांग्रेस टिकट देती है कि नहीं। आश्रय शर्मा के टिकट मिलने व उनके नामांकन करने के बाद ही भाजपा अनिल शर्मा को लेकर कोई फैसला लेगी।
सीएम ने कहा- किसी के आने-जाने से फर्क नहीं पड़ेगा
मुख्यंमत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने हर क्षेत्र में नई उंचाईयों को छुआ है। मंडी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व केन्द्रीय मंत्री पंडित सुखराम और उनके पौत्र आश्रय शर्मा के कांग्रेस में शामिल होने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे उनका सम्मान करते हैं मगर किसी के आने-जाने से कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा, भाजपा प्रदेश की चारों सीटें जीतेगी। भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने बताया, ''यह अनिल शर्मा पर है कि उन्हें हिमाचल प्रदेश में मंत्री के तौर पर काम करना है या पार्टी छोड़नी है। उन्हें अपना रुख साफ करना चाहिए।''
अनिल शर्मा को लेकर आसमंजस की स्थिति
सत्ती से यह पूछा गया था कि क्या सुखराम के बेटे और राज्य के बिजली मंत्री अनिल शर्मा जयराम ठाकुर की सरकार में बने रहेंगे। सत्ती ने हालांकि कहा, ''परिवार का एक सदस्य एक पार्टी में तो अन्य सदस्य दूसरी पार्टी में शामिल हो सकता है।'' बहरहाल अपने पौत्र आश्रय शर्मा के साथ सुखराम के कांग्रेस में शामिल होने के बाद अनिल शर्मा का कबीना मंत्री के तौर पर बने रहने पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।