आलू विवाद: पेप्सिको के विरोध में शामली के किसान भी सड़क पर उतरे, कंपनी ने मांगे 1 करोड़ रुपए
UP News in Hindi, शामली। अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सिको द्वारा गुजराती किसानों पर मुकदमा किए जाने के विरोध में भारतीय किसान यूनियन द्वारा उत्तर प्रदेश में भी प्रदर्शन शुरू कर दिए गए हैं। यहां शामली में भारतीय किसान यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपर जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान इन लोगों ने तीन गुजराती किसानों द्वारा एक खास किस्म की आलू उगाने पर 'पेप्सिको' के कॉपीराइट उल्लंघन वाले केस पर नाराज जताई है। यूनियन के कार्यकर्ताओं ने कहा है कि विदेशी कंपनी ने अहमदाबाद कोर्ट में कॉपीराइट उल्लंघन का केस करके जिन किसानों से एक करोड़ रुपए की क्षति-पूर्ति की मांग की है, वह नाजायज है। आलू तो कोई भी किसान उगा सकता है, उसमें कोई कॉपीराइट उल्लंघन कैसे हो सकता है।'
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संवाददाता के अनुसार, यूनियन के कार्यकर्ताओं ने शामली जनपद के थाना आदर्श मंडी क्षेत्र के कलेक्ट्रेट स्थित अपर जिलाधिकारी कार्यालय के सामने यह प्रदर्शन किया। जहां पर सैकड़ों की तादात में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता इकट्ठा हो गए और धरने पर बैठ गए। इस पर शामली के अपर जिलाधिकारी आनंद कुमार शुक्ला ने कहा है कि इन कार्यकर्ताओं ने 'पेप्सिको' की वजह से यह प्रदर्शन किया। गुजरात में 3 किसानों पर पेप्सिको कंपनी द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नाम संबोधित एक ज्ञापन भी दिया है, जो कि मेरे द्वारा राज्यपाल को भेजा जाएगा।'
क्या
है
पेप्सिको
कंपनी
का
दावा?
पेप्सिको
कंपनी
ने
3
गुजराती
किसानों
पर
केस
करते
हुए
कोर्ट
में
कहा
है
कि
पेप्सी-5
या
फिर
एफ
एल-2017
पादप
किस्म
जोकि
खास
किस्म
की
आलू
है,
उसको
उगाने
का
अधिकार
सिर्फ
पेप्सिको
के
पास
है।
मगर,
इन
किसानों
ने
बिना
हमसे
इजाजत
लिए
इस
तरह
के
आलू
के
उत्पाद
बेचे।
कंपनी
के
मुताबिक,
एफसी
5
किस्म
की
आलू
के
उत्पादन
का
खास
अधिकार-2016
में
मिला
था।
जिससे
लेज
ब्रांड
का
चिप्स
बनाया
जाता
है,
जबकि
किसानों
का
कहना
है
कि
पीवीपी
एंड
एफआर
अधिनियम-2001
की
धारा-39
के
अनुसार
देश
में
किसानों
को
किसी
भी
सुरक्षित
किस्म
के
बीज
को
बोने
के
अलावा
उसे
अपने
कृषि
उपज
को
बचाने
उपयोग
करने
पुणे
बोने
आदान-प्रदान
करने
साझा
करने
या
बेचने
की
अनुमति
है।
वहीं,
गुजरात
सरकार
भी
उन
किसानों
के
समर्थन
में
आ
गई
है।