पिता गुब्बारे पर लगाते थे निशाना, बेटा बना नेशनल लेवल का निशानेबाज
Shahjahnpur news, शाहजहांपुर। पिता के विरोध के बाद भी बेटे ने चोरी-छिपे निशानेबाजी को अपना करियर चुन लिया है। पिता को सिर्फ निशानेबाजी का शौक था लेकिन उससे परिवार का खर्च नहीं चलता था। ऐसे में पिता ने लोहे के पाइप का बिजनेस किया तो बेटों को भी बिजनेस आगे बढ़ाने के लिए लगाया। बेटे ने इनकार कर दिया और निशानेबाजी मे ही कैरियर चुनने का मन बनाया और 2017 मे पहला मेरठ मे होने वाला शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया जहां उसने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इसके बाद हौसला बढ़ा और एक के बाद एक 11 मेडल जीत लिए। इतना ही नहीं, अब नेशनल खिलाड़ी के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया है और अब नेशनल टीम में जगह बनाने के लिए अभ्यास कर रहे हैं। बेटे की कामयाबी देखकर पिता और भाई ने घर के अंदर ही दस मीटर का साउंड प्रूफ शूटिंग रेंज बनाकर खिला़ड़ी बेटे को गिफ्ट कर दिया।
पिता बिजनेस में लग गए
दरअसल थाना सदर क्षेत्र के बहादुरगंज निवासी विनोद के दो बेटे हैं। विनोद लोहे के पाइप का बिजनेस करते हैं। उनका बेटा बिशू गुप्ता ने शुरुआती पढ़ाई यहां के सेंटपाल इंग्लिश मीडियम स्कूल से की है। उसके बाद विनोद ने अपने बेटे को दिल्ली मे पढ़ाई करने के लिए भेज दिया। उसके बाद बिशू अपने शहर 20 साल बाद लौटकर घर वापस आया। इसी बीच 2017 मे बिशु ने पिता को फोन पर कहा कि उसे निशानेबाजी का शौक है। निशानेबाजी को ही अपना करियर बनाना चाहता है लेकिन पिता ने इसका विरोध किया। बिजनेस को संभालने की बात की जिसे सुनकर बिशु नाराज भी हुआ था।
बेटा नेशनल खिलाड़ी के तौर पर स्थापित
बिशु गुप्ता ने बताया कि 2017 मे मेरठ मे ए शूटिंग चैंपियनशिप की प्रतियोगिता होनी थी। पता चलते ही उससे पचास दिन पहले हमने चोरी-छिपे मेरठ जाकर एयर राइफल किराये पर ली और उससे अभ्यास किया। उसके बाद चैंपियनशिप का हिस्सा बने और वहां से गोल्ड मेडल जीता। उसके बाद हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा क्योंकि पहली बार में ही हमने गोल्ड मेडल जीत लिया था। जीत का सिलसिला कायम रखते हुए बिशु ने 2018 मे करणी सिंह मेमोरियल चैंपियनशिप मे तीन गोल्ड मेडल हासिल की। उसके बाद फिर मेरठ में प्री स्टेट मे एक और गोल्ड जीतकर उपलब्धि हासिल की। फिर उत्तराखंड में सिल्वर और नोयडा में गोल्ड जीता। उसके बाद 11 स्टेट की नार्थ जोन चैंपियनशिप पड़ाव पार कर बिशु ने नैशनल खिलाड़ी के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया। साथ ही अब बिशु नैशनल टीम मे जगह बनाने के लिए कड़ा अभ्यास कर रहे हैं। 29 साल के विशु ने 2011-12 मे किंगफिशर एयरलाइंस मे नौकरी भी की थी। विशु गुप्ता ने अलग-अलग युनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। उन्होंने एक कोर्स ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी से किया है।
पिता बोले, अब बेटा ओलंपिक खेले
पिता बोले, अब बेटा ओलंपिक खेलेबिशु गुप्ता के पिता विनोद ने बताया कि जब बेटे छोटे थे तब मैं घर की छत पर गुब्बारे रस्सी से लटकाकर उन पर निशाना लगाया करते थे। लगता है हमारा वही शौक बेटे ने अपना करियर बना लिया है। उन्होंने कहा कि ये सच है कि जब बेटे विशु ने फोन पर निशानेबाजी में किस्मत आजमाने के लिए कहा तो हमने विरोध किया था, लेकिन मेरा विरोध गलत था। हम चाहते थे कि बेटा हमारा बिजनेस संभाले लेकिन बेटे की लगन और ईमानदारी ने उसे आज नेशनल शूटर निशानेबाज बना दिया। जब उसने 11 मेडल जीते तो हमने अपना विरोध खत्म कर दिया क्योंकि आज मेरे बेटे की वजह से ही हमारी पहचान बनी है। मेरा बेटा 20 साल बाद घर लौटा तो उसको एक गिफ्ट भी देना था। इसलिए हमने बङे बेटे सन्नी गुप्ता से बात करके एक घर के अंदर ही दस मीटर का साउंड प्रूफ शूटिंग रेंज बना दिया और जब बेटा दो दिन पहले घर लौटा तो उसको सामने हमने शूटिंग रेंज का रूम खोला जिसे देखकर बेटा बहुत खुश हुआ। अब मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि विशु नैशनल टीम का खिलाड़ी बने और ओलंपिक खेले।
ये भी पढ़ें-'हमारे पास गठबंधन है और भाजपा के पास CBI', लखनऊ में लगे मायावती-अखिलेश के पोस्टर