भदोही: खुदाई में मिले 14वीं शताब्दी के मुगलकालीन चांदी के सिक्के
भदोही। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के जाठी गांव में 14वीं शताबदी के मुगलकालीन चांदी के दर्जनों सिक्के मिले है। सिक्के मिलने के बाद वाराणसी का पुरातत्व विभाग की टीम सक्रिय हो गई है। बता दें कि दो दिन पूर्व उसी स्थान पर वाराणसी का पुरातत्व विभाग सर्वे कर लौटा था। पुरातत्व विभाग की टीम के जाने के बाद ग्रामीण उसी स्थान पर एक भीठे की खुदाई करना शुरू कर दिए। जहां एक घड़े में कई चांदी के सिक्के मिले।
खोदाई के बाद ग्रामीणों को मिले सिक्के
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में बीएचयू पुरातत्व विभाग की टीम रविवार को प्रो. अशोक कुमार सिंह व डा. रवि शंकर के नेतृत्व में जाठी गांव पहुंची थी। टीम भदोही जनपद की कला व पुरातत्व पर रिसर्च कर रही है। टीम में शामिल शोधकर्ताओं ने जाठी गांव स्थित एक टीले पर खोदाई की। उनके जाने के बाद गांव के कुछ लोग वहां पहुंचे और मिट्टी को हटाना शुरू कर दिया। इस दौरान एक हांडी में चांदी के दर्जनों सिक्के मिले। जिसके बाद पूरे गांव में बात जंगल में आग की तरह फैल गई। दूसरे दिन सोमवार को भी कुछ लोगों के हाथ सिक्के लगे।
मुगल शासक शाह आलम द्वितीय के समय के सिक्के
बीएचयू के प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि सिक्कों की फोटो मोबाइल पर मिली है। उसमें उर्दू में शब्द लिखे हैं। दावा किया कि उक्त सिक्के मुगल शासक शाह आलम द्वितीय के जमाने के प्रतीत होते हैं। अनुमान है कि उन्हें 1734 में बनाया गया है। कहा कि सिक्के मिलने के बाद तत्कालीन इतिहास, सभ्यता व उस दौरान भदोही में रही सभ्यता आदि की जानकारी हो सकती है। उन्होंने गांव वालों से टीम को कुछ सिक्के देने का आह्वान किया, ताकि इतिहास के बारे में सटीक जानकारी हासिल हो सके।
वाराणसी टकसाल में निर्मित हैं सिक्के
बीएचयू पुरातत्व विभाग के प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि सिक्कों की बनावट व उस पर लिखे उर्दू के शब्दों से यह प्रतीत होता है कि उन्हें टकसाल वाराणसी में बनाया गया था। मुगल शासक शाह आलम द्वितीय के समय में वाराणसी का अपना एक अलग स्थान था। यहां से सिक्के अवध समेत अन्य सूबों में जाते थे। बताया कि शाह आलम के समय में हिन्दुस्तान में वाराणसी व मुर्शीदाबाद (पश्चिम बंगाल) में ही सिक्के बनाए जाते थे। ऐसे में उस दौरान वाराणसी के महत्व को समझा जा सकता है।
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