मिसाल! सरकारी स्कूल का कायापलट करने के लिए प्रिंसिपल ने जेब से खर्च किए 3 लाख
संभल। हर स्टूडेंट के भविष्य को बदलने में किसी न किसी शिक्षक की भूमिका बेहद अहम होती है। जिंदगी के सफर में शिक्षा का कितना महत्व है ये तो हम सभी जानते हैं। यही सोचकर विकास खंड सम्भल क्षेत्र के गांव चकौनी स्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने सरकारी स्कूल की सूरत ही बदल दी। आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रधानाचार्य ने अपनी जेब से तीन लाख रुपए खर्च कर बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल की तस्वीर बदल दी है। पहले इस स्कूल में कोई पढ़ने के लिए नहीं आता था। स्कूल की बिल्डिंग जर्जर थी और प्रशासन ने भी स्कूल को क्षतिग्रस्त घोषित कर रखा था। ऐसे में प्रधानाचार्य ने बच्चों का भविष्य सवांरने की मंशा से स्कूल की मरम्मत कराई और अपनी जेब से तीन लाख रुपए खर्च कर डाले। अब हर वर्ष स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है।
स्कूल की हालत थी बद्तर
दरअसल गांव चकौनी स्थित प्राथमिक विद्यालय 2015 में जर्जर हालात में था। फिर 2016 में नखासा क्षेत्र के गांव सिरसानाल निवासी प्रधानाचार्य बसंत कुमार को इस स्कूल का चार्ज मिला। उस समय स्कूल में मात्र तीन बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। बिल्डिंग टूटी होने की वजह से डर रहता था कि कहीं कोई हादसा न हो जाए। स्कूल में न तो बच्चों के लिए बैठने का प्रबंध था और ही कोई शैक्षणिक माहौल। स्कूल आ रहे कुछ बच्चे भी पढ़ाई की वजह से कम लेकिन मध्याह्न भोजन के लिए आते थे। उन्हें भी अपने घर से बर्तन लेकर आना पड़ता था।
स्कूल की मरम्मत के लिए जेब से खर्च किए 3 लाख
इन सब हालातों के बाद बसंत कुमार ने घर-घर जाकर बच्चों के अभिभावकों से संपर्क करना शुरू किया। इसके बाद बच्चों की संख्या तो बढ़ी लेकिन व्यवस्था न होने के चलते बच्चों की संख्या घटती-बढ़ती रही। बच्चों के भविष्य की चिंता उन्हें खटक रही थी। फिर प्रधानाचार्य बसंत ने अपनी जेब से तीन लाख रुपए खर्च करने के बाद स्कूल बिल्डिंग की मरम्मत कराई व छत का निर्माण कराया, फर्स बनवाया, इसके अलावा खिड़की व पेंटिग के साथ चार दिवारी तथा फुलवाड़ा, सबमर्सिबल का काम-काज कराया है। वर्तमान में इस स्कूल में 70 से अधिक बच्चे पढ़ने के लिए आ रहे हैं।
'बच्चों की वजह से जिला और देश का नाम ऊंचा होगा'
प्रधानाचार्य बसंत कुमार का कहना है कि वह आगे वेतन मिलने के बाद स्कूल में कंप्यूटर, प्रोजेक्टर व बायोमैट्रिक मशीन लगवाएंगे। उनका कहना है कि बच्चे पढ़-लिखकर अपने जिले और देश का नाम ऊंचा करेंगे। बच्चों को शिक्षा देने के इस कदम से प्रधानाचार्य की काफी सहारना की जा रही है। उनके इस जज्बे को देखकर सभी लोग खुश हैं।
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