मर्द-औरत के साथ खाने पर दारुल उलूम का फतवा, महिला आयोग ने भेजा नोटिस
Saharanpur News, (सहारनपुर)। यूपी के सहारनपुर स्थित दारुल उलूम फतवे में विवाह या अन्य सामरोह में मर्द व औरतों को एक साथ खाना खाने को हराम बताए जाने को राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिलाओं का अपमान करार दिया है। साथ ही संस्था को नोटिस भेज जवाब तलब किया है। उलेमा ने महिला आयोग द्वारा नोटिस भेजे जाने पर कड़ा रोष व्यक्त करते हुए इसे शरई मामलों में हस्तक्षेप बताया है। वहीं, दारुल उलूम प्रबंधतंत्र ने किसी भी तरह का नोटिस मिलने से इनकार किया है।
महिलाओं के संबंध में दारुल इफ्ता दारुल उलूम देवबंद द्वारा हाल ही में जारी हुए फतवे पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने दारुल उलूम को नोटिस जारी करने का दावा किया है। हालांकि दारुल उलूम प्रबंधतंत्र किसी भी तरह के नोटिस मिलने से इनकार कर रहा है। महिला आयोग के दावे से उलेमाओं में भारी रोष है। मदरसा जामिया कासमिया दारुल तालिम व सना के मोहतमिम मौलाना इब्राहिम कासमी ने कहा कि यह सब सोची समझी साजिश के तहत फतवों को विवादास्पद बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। फतवे कुरआन और हदीस की रोशनी में दिए जाते हैं। इन पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी संविधान द्वारा दिए मजहबी आजादी से जीने के अधिकार के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट फतवों को लेकर शरीयत में हस्तक्षेप नही करता है तो किसी आयोग को क्या अधिकार है कि वह शरीयत के मामलों में दखल अंदाजी करें। उन्होंने आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा को सलाह दी कि वह उत्तराखड हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का संज्ञान लेने के बाद ही कोई नोटिस जारी करें। तंजीम अब्नाए दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने कहा कि फतवा कुरआन और शरीयत के मानने वालों के लिए होता है। दारुल उलूम सवाल पूछे जाने पर कुरआन हदीस की रोशनी में उसका जवाब देता है। इसलिए फतवों पर किसी की भी टिप्पणी बेमायने है। उन्होंने कहा कि जो लोग शरीयत के बारे में नहीं जानते उन्हें मजहबी मामलों में टिप्पणी भी नहीं करनी चाहिए।
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