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सहारनपुर के गांव में कोरोना मरीजों की भीड़ से जूझ रहा एक डॉक्टर,दूसरी लहर थामने में योगी सरकार कैसे रही नाकाम?

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सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में कोरोना वायरस कहर ढा रहा है। शुक्रवार को इस बीमारी से दस मरीजों की मौत हो गई और पिछले 24 घंटे में यहां 1171 नए मरीज मिले हैं। सहारनपुर में वायरस के प्रकोप से मरीजों को बचाने में बड़गांव के एक डॉक्टर दिन-रात जुटे हैं। बड़गांव में सड़क किनारे डॉक्टर वी के शर्मा के एक रूम के क्लिनिक में कोविड लक्षणों से ग्रस्त मरीज काफी संख्या में आ रहे हैं जिससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में बीमारी किस हद तक भयावह रूप ले चुका है। लेकिन डॉक्टर वी के शर्मा मरीजों का इलाज करते हुए उनका मनोबल बढ़ाते हुए बस यही कहते हैं, 'बस सर्दी खांसी है, ठीक हो जाओगे।'

How Yogi govt failed to manage Covid19 pandemic second wave in villages

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सप्ताह से डॉक्टर वी के शर्मा लगातार इस जिले में कोविड19 से पैदा हुई चुनौतियों से जूझ रहे हैं और मरीजों का इलाज कर रहे हैं। डॉक्टर शर्मा जानते हैं कि उनके पास जो भी मरीज आ रहे हैं, उनकी सर्दी खांसी सामान्य नहीं है लेकिन इस बारे में वो कहते हैं कि मैं उनसे कैसे कह सकता है कि इस बीमारी से उनकी जान भी जा सकती है। सहारनपुर के बड़गांव के हालात इस तरफ इशारा कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में अब यह बीमारी शहरों के बाद गांवों में भी पैर पसार चुका है।

उत्तर प्रदेश में पिछले साल कोरोना वायरस की पहली लहर में सहारनपुर जिले में तीन सितंबर को अधिकतम 201 संक्रमित मिले थे लेकिन इस साल की दूसरी लहर में हालात बहुत खराब हो चुके हैं। 29 अप्रैल को सहारनपुर में 378 नए मरीज मिले थे और एक की मौत हुई थी लेकिन अगले एक सप्ताह बाद ही 6 मई को 687 नए मरीज मिले और 7 की मौत हो गई। अब पिछले 24 घंटे में 1171 नए मरीज मिले और 10 की मौत हो गई। पिछले साल की लहर के बाद इन ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए योगी सरकार ने ध्यान नहीं दिया जिसका नतीजा यह है कि दूसरी लहर में यूपी के गांवों में संक्रमण से लोग मर रहे हैं। सहारनपुर के बड़गांव जैसे ग्रामीण इलाकों में जहां स्वास्थ्य सेवाएं न के बराबर हैं, कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज करने का भार डॉक्टर वी के शर्मा जैसे डॉक्टर के कंधों पर आ गया है जो कि आयुर्वेद में ग्रेजुएट हैं।

बड़गांव से सहारनपुर 33 किलोमीटर और मुजफ्फरनगर 43 किलोमीटर दूर है। ब्लॉक हेडक्वार्टर भी यहां से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। बड़गांव स्थित डॉक्टर वी के शर्मा के क्लिनिक में गुरुवार को मरीजों की भीड़ दिखी। क्लिनिक के अंदर और बाहर 15 से ज्यादा मरीजों को खटिया और अन्य इंतजामों की मदद से लिटाया गया। डॉक्टर वी के शर्मा उनका इलाज करते दिखे। इन मरीजों में से कुछ को सेलाइन भी चढ़ाया जा रहा। क्लिनिक में इनके अलावे करीब 30 लोगों की भीड़ जमा थी जिनमें से कई मरीज थे। एक महीने पहले तक डॉक्टर शर्मा की क्लिनिक में 5 से 10 मरीज रोज आते थे लेकिन अब करीब एक दिन में 100 मरीज उनसे इलाज कराने पहुंच रहे हैं।

डॉक्टर शर्मा गर्व से बताते हैं कि उनके यहां इलाज कराने आए मरीजों में से अब तक किसी की मौत नहीं हुई है। डॉक्टर शर्मा उन्हीं मरीजों का इलाज करते हैं जिनका ऑक्सीजन स्तर पल्स ऑक्सीमीटर पर 92 से ज्यादा होता है। जिनका ऑक्सीजन स्तर इससे कम होता है, डॉक्टर शर्मा उनको अस्पताल जाने को कहते हैं। वे कहते हैं, 'मैं कर भी क्या सकता हूं, मैं सामान्य लक्षणों का इलाज कर सकता हूं और कोशिश करता हूं कि इंफेक्शन शरीर में न फैले। लेकिन अब यह करना भी मुश्किल होता जा रहा है।' डॉक्टर शर्मा जिन दवाइयों (एजिथ्रोमाइसिन और डेक्सामेथासोन) से इन मरीजों को इलाज कर रहे हैं, वह अब गांव के मेडिकल स्टोर में उपलब्ध नहीं हैं और शहरों में वो आसानी से नहीं मिल रहे हैं। वो बताते हैं कि प्रतिदिन दवाइयां महंगी होती जा रही हैं, पहले सेलाइन ड्रिप 350 रुपए में मिल जाते थे लेकिन अब वह 900 रुपए में भी नहीं मिल पाती हैं। गांवों से काफी मरीज आ रहे हैं और वो मर रहे हैं, हर तरफ भय का माहौल है।

डॉक्टर शर्मा के क्लिनिक में इलाज करा रहे राजू कुमार ने बताया कि उनकी बीवी पिछले सप्ताह बेहोश हो गई थी लेकिन ननौता सीएचसी से लेकर जिला अस्पताल तक उनको कोई मदद नहीं मिली। हर जगह कोरोना टेस्ट कराने को कहा गया लेकिन सभी जांच केंद्र बंद हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार से उनको कोई राहत नहीं मिली और हर जगह से हताश होने के बाद डॉक्टर शर्मा की क्लिनिक में वो बीवी का इलाज कराने आए। राजू ने कहा कि गांव में लोग सर्दी खांसी होने के बाद मर रहे हैं। योगी सरकार दावा करती है कि हम लोगों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचा रहे हैं और कहती है कि वैक्सीन लो लेकिन कहां जाकर लें, क्या सरकार को यह मालूम नहीं कि उनके स्वास्थ्य केंद्र हमेशा बंद रहते हैं।

डॉक्टर शर्मा की क्लिनिक से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर बड़गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जहां कोई मरीज नहीं दिखता। वहां के वार्ड ब्वॉय शहजाद के मुताबिक, यहां पिछले महीने प्रतिदिन 100 लोगों का टीकाकरण किया जाता था लेकिन अब यहां सप्ताह में बस तीन-चार दिन ही वैक्सीन की सप्लाई होती है। यहां के इंचार्ज डॉक्टर खुद बीमार हैं और यहां जो नर्स काम करती थी उसका भी ट्रांसफर हो चुका है। शहजाद ने कहा कि अगर कोई टीका के लिए आता है तो उनको ननौता सीएचसी भेज देते हैं। 80 गांवों के लोगों की स्वास्थ्य जरूरतों के लिए ननौता सीएचसी है जहां सन्नाटा पसरा दिखा। यहां के डॉक्टर प्रमोद कुमार ने कहा कि यहां टीकाकरण होता है लेकिन आज सप्लाई ही नहीं आई। कहा कि इस सीएचसी को कोविड सेंटर घोषित नहीं किया गया है। यहां सिर्फ तीन डॉक्टर हैं। ननौता ब्लॉक हॉटस्पॉट है और यहां 194 मरीज होम आइसोलेशन में हैं जिनमें कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है। 16 मरीजों की मौत दूसरी लहर में हाल में हुई हैं।

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योगी सरकार टीकाकरण पर जोर दे रही है लेकिन सहारनपुर के गांव के आंकड़े बताते हैं कि इस मोर्चे पर भी सरकार असफल है। ननौता प्रखंड में करीब 2 लाख की जनसंख्या है। ननौता सीएचसी के रिकॉर्ड के मुताबिक, एक मार्च से सात अप्रैल 6,985 लोगों को कोविशील्ड का पहली डोज और 5,063 लोगों को दूसरी डोज दी गई। इसके बाद टीकाकरण के आंकड़ों में और भी गिरावट हुई। सात अप्रैल से छह मई के बीच 3,845 को कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज और 1,009 लोगों को दूसरी डोज दी गई। इसी अवधि में 509 को कोवैक्सीन की पहली डोज और 174 को दूसरी डोज दी गई।

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English summary
How Yogi govt failed to manage Covid19 pandemic second wave in villages
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