तीन तलाक को लेकर कानून बनाने के नाम पर सरकार कर रही मजहबी मामलों में हस्तक्षेप: दारुल उलूम
Saharanpur News,(सहारनपुर)। मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 को मोदी सरकार ने गुरुवार को एक बार फिर लोकसभा में पेश कर दिया है। हालांकि बिल को दोबारा पेश करने से पहले इसमें कुछ संशोधन किए गए हैं। सरकार द्वारा बार-बार बिल पेश किए जाने पर दारुल उलूम ने सख्त नाराजगी का इजहार करते हुए इसे कानून बनाने के नाम पर मजहबी मामलों में हस्तक्षेप करार दिया है।
मजहबी मामलों में सरकार दे रही दखल
सरकार द्वारा कुछ संशोधनों के साथ एक बार फिर तीन तलाक के खिलाफ लाए गए बिल को लोकसभा में पेश कर दिए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए दारुल उलूम देवबंद मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि बिल के संशोधित होने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। मोहतमिम ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार मजहबी मामलों में कानून के रास्तें दखलअंदाजी कर रही है और किसी भी सूरत में इस तरह के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश का संविधान मजहबी आजादी के साथ जीने का अधिकार देता है। सरकार संविधान में दिए गए शरीयत के कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) में मुदाखलत (हस्तक्षेप) कर मजहबी आजादी को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है जो कि चिंता का विषय है।
यह मुसलमानों को नहीं है कबूल
मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम ने दो टूक कहा कि तीन तलाक और निकाह जैसे मसले पूरी तरह मजहबी मामले हैं। इनमें किसी का भी हस्तक्षेप नाकाबिले कबूल है। गौरतलब होगा कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की दुहाई देते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने बीते वर्ष इन्हीं दिनों में तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए बिल को संख्या बल के आधार पर लोकसभा में पेश कर पास करा लिया था। सरकार के बिल पर मुस्लिम समाज के विरोध को देखते हुए विपक्षी दलों ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे और यह बिल राज्यसभा में अटक गया था। मानसून सत्र में भी इस पर सहमती न बन पाने के कारण यह बिल पास नहीं हो सका था जिसके बाद सरकार ने बीते 19 सितंबर को कुछ संशोधनों के साथ कैबिनेट द्वारा अध्यादेश लागू किया था। इस पर ससंद की मुहर लगवाने के लिए सरकार ने एक बार फिर शीत सत्र में इसे गुरुवार को लोकसभा मे पेश किया है।
सरकार के बिल का विपक्ष करें विरोध: कारी उस्मान
सरकार द्वारा तीन तलाक के खिलाफ संसद में एक बार फिर बिल पेश करने पर जमीयत उलेमा ए हिंद (महमूद गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कारी उस्मान मंसूरपुरी ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने शरीयत के जानकारों को मुसव्वदा दिखाए बिना ही एक बार फिर बिल को संसद में पेश कर दिया है जो सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है। सरकार ने मुस्लिम पर्सनल-लॉ-बोर्ड समेत मुल्क के सभी मुस्लिम संगठनों को नजरअंदाज करते हुए अपनी मनमानी कर एक बार नहीं दूसरी बार बिल पेश किया है। मौलाना मंसूरपुरी ने विपक्षी दलों से आह्वान किया कि सरकार के बिल का वह संसद में विरोध करें। अगर यह बिल के पारित हो गया तो मुस्लिम महिलाओं की समस्याएं और अधिक बढ़ जाएंगी।
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