नेशनल मेडिलस्ट एथलीट फरमान फलों की पेटियां उठाने को हुआ मजबूर, जीत चुका है कई मेडल
सहारनपुर। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस और लॉकडाउन से जहां देश की आर्थिक व्यवस्था चौपट हो कर रह गई है। वहीं, हालातों से मजबूर कुछ नेशनल खिलाड़ियों के सपने भी टूटने की कगार पर हैं। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का है। यहां नेशनल मेडिलस्ट एथलीट को गुजारा करने के लिए मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ा है। चार बार राष्ट्रीय पदक जीतने वाले खिलाड़ी को फलों की पेटियों उठानी पड़ा रही हैं। वहीं, अब खिलाड़ी ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
पैदल चाल में जीत चुका हैं कांस्य पदक
सहारनपुर के हौजखेड़ी गांव के मोहम्मद फरमान चार बार पैदल चाल की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीत चुके हैं। फरमान ने साल 2016 में नेशनल प्रतियोगिता किए 10 किलोमीटर प्रतिस्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। 2017 दिल्ली के नेहरू स्टेडियम में हुई वॉकिंग चैंपियनशिप में भी फरमान ने कांस्य पदक हासिल किया था। इसके अलावा 2019 गुंटूर में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी फरमान ने कांस्य पदक जीता था। इस साल के फरवरी में हुई छठी राष्ट्रीय ओपन और पहली अंतरराष्ट्रीय पैदल चाल प्रतियोगिता में फरमान ने कांस्य पदक जीता था। चेन्नई में हुई इस प्रतियोगिता में विदेशी खिलाड़ियों ने भी हिस्सा लिया था।
सीएम योगी कर चुके हैं सम्मानित
खेल प्रतियोगिता में अच्छे प्रदर्शन के चलते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फरमान को नगद पुरस्कार से सम्मानित कर चुके हैं। लेकिन अब राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चार पदक जीतने वाले एथलीट को अपनी पढ़ाई और डाइट के लिए मज़दूरी करनी पड़ रही है।
हाइवे पर करते हैं प्रैक्टिस
फरमान का कहना है कि करंट लगने से उनके पिता की मौत हो गई थी। परिवार में मां, बहन, भाई है। अपना गुजारा करने के लिए उन्हें मजूदरी करनी पड़ती है। फरमान को अपनी पढ़ाई और डाइट के लिए मंडी समिति में रात के समय फलों की पेटियां उठानी पड़ती है। इसके अलावा फरमान को प्रेक्टिस करने में भी दिक्कत आ रही है। डॉ भीमराव अंबेडकर स्पोर्ट्स स्टेडियम में निर्माण कार्य चलने और कारोना के कारण खेल गतिविधियों पर ब्रेक लगा हुआ है। ऐसे में फरमान जान का जोख़िम लेकर अम्बाला हाईवे पर अभ्यास करता है। हाईवे पर दौड़ने की प्रेक्टिस करते हुए दुर्घटना का भी खतरा बना रहता है।