यूपी के इस शहर में मिला 50 लाख साल पुराना दुर्लभ हाथी दांत
सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में वन क्षेत्र में सर्वेक्षण के दौरान एक हाथी का जीवाश्म (फॉसिल्स) मिला है। जीवाश्म के अध्ययन के बाद वाडिया इंस्टीटयूट आफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून के वैज्ञानिकों ने इसे 50 लाख वर्ष से अधिक पुराना बताया है। इस हाथी के पूर्वज को स्टेगोडॉन कहते हैं। मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि स्टेगोडॉन के दांत 12 से 18 फिट लंबे होते थे, जो आज विलुप्त हो चुके है। दरअसल, सहारनपुर में आने वाले शिवालिक वन क्षेत्र में वन्य जीवों की गणना का कार्य 6 माह से चल रहा है, जिसके लिए वन्य क्षेत्र में जगह जगह कैमरे लगाए जा रहे हैं।
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50 मिलियन साल पुराना है फॉसिल्स
इस गणना व सर्वेक्षण के दौरान जनपद की वन विभाग टीम को एक हाथी का 50 लाख वर्ष पुराना फॉसिल्स मिला है। जनपद के मुख्य वन संरक्षक वीके जैन ने बताया कि ये हाथी का दांत लगभग 50 लाख वर्ष पुराना है, जिसकी पुष्टि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून ने अध्यन कर की है। उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट द्वारा अध्ययन कर बताया गया है कि यह फॉसिल्स हाथी के पूर्वजों का है, स्टेगोडॉन के नाम से जाना जाता है। मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि स्टेगोडॉन के दांत 12 से 18 फिट लंबे होते थे, जो आज विलुप्त हो चुके है। उन्होंने बताया कि यह दुर्लभ हाथी दांत है और इसकी कोई कीमत नहीं है यह अमूल्य है।
200 कैमरों में 52 तेंदुए कैद हुए
बता दें, सहारनपुर वन परिक्षेत्र में 200 कैमरों में 52 तेंदुए कैद हुए थे। अब 312 कैमरों की पड़ताल की गई तो येलो थ्रोटेड मार्टन्स और सीविट बिल्लियों की किस्में कॉमन, पाम, मास्कड, लैपर्ड कैट भी कैद हुई हैं। ये सभी प्रजातियां बेहद संकटग्रस्त श्रेणी में हैं। शिवालिक वन क्षेत्र के मोहंड और बडकला रेंज में ये प्रजातियां पाई गई हैं। बाघों के लिए जरूरी चीतल, सांभर, जंगली सूकर आदि कई वन्य जीव यहां मौजूद हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व उत्तराखंड से सटे होने की वजह से यह वन क्षेत्र प्राकृतिक तौर पर समृद्ध है। गंगा और यमुना नदी की सीमा के मिलने से वन्य जीव विशेषकर हाथी हरियाणा के केलसर तक पहुंचते हैं। यह न केवल टाइगर रिजर्व बल्कि हाथियों के लिए भी बेहतरीन गलियारा हो सकता है।
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