झारखंड के रिम्स अस्पताल में मानवीय संवेदना हुई तार-तार, भूख से बेबस महिला चबाने लगी जिंदा कबूतर
रांची। झारखंड की राजधानी रांची में सरकार और उसकी दावों की पोल खोलने वाला मामला सामने आया और ऐसा मामला जिसके बारे में जानकर आप भी एक बार सिस्टम के तौर-तरीकों पर सवाल करने लगेंगे। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में बीते बुधवार को मानवीय संवेदना तार-तार होती नजर आई, जहां ऑर्थोपेडिक विभाग के कॉरिडोर में भूख से परेशान महिला को कुछ भी नहीं खाने को मिला तो उसने जिंदा कबूतर चबा लिया।
खाना मांगा लेकिन किसी ने नहीं दिया
इससे पहले बुजुर्ग महिला रास्ते से गुजर रहे लोगों से खाना मांगती रही। लेकिन किसी ने भी उसपर ध्यान नहीं दिया। महिला रिम्स इलाज के लिए आई हुई थी। वो अपना नाम बताने की भी हालत में नहीं थी। इस मामले में रिम्स के निदेशक डॉ. डीके सिंह ने कहा कि सामाजिक संस्थाएं लावारिस लोगों को यहां छोड़ जाती हैं।
निदेशक ने कहा कि उस महिला की बीमारी का इलाज यहां नहीं होता है
अस्पताल मानवीय संवेदना रखते हुए भी ऐसे मरीजों के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकता। हालांकि वैसे तो लोग बचा हुआ खाना कूड़े में डाल देते हैं। जब वही खाना किसी दूसरे को नसीब न हो तो ऐसी तस्वीरें देखना सामान्य है। रिम्स निदेशक का कहना है कि मरीज रिम्स में लावारिस मरीज है, लेकिन उसे रिम्स में भर्ती नहीं किया गया है क्योंकि उसकी बीमारी का इलाज यहां नहीं होता है।
बेबस नजर आए निदेशक
निदेशक का कहना है कि ये विक्षिप्त मरीज है और इसके लिए रिम्स में कोई व्यवस्था नहीं है। रिम्स निदेशक ने बताया कि इस तरह के मरीज में अस्पताल में सिर्फ अव्यवस्था ही फैलती है। वहीं इस मरीज को लेकर निदेशकपूरी तरह बेबस नजर आए।
लावारिस मरीजों को मुफ्त में मिलता है खाना
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल में ऐसे मरीजों के लिए मुफ्त खाने की व्यवस्था है। लेकिन इस लावारिस मरीजों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है।