झारखंड में डोर-टू-डोर सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े, दूसरी लहर में 43% ज्यादा मौतें
रांची, जून 14: कोरोना की पहली लहर से ज्यादा दूसरी लहर ने अपना आतंक मचाया है। इसका जीता जागता उदाहरण झारखंड में कराए गए डोर-टू-डोर सर्वे से सामने आया है। सर्वे से सामने आई जानकारी से खुलासा हुआ है कि अप्रैल-मई में 43 फीसदी मौतें ज्यादा हुई हैं। झारखंड में एक गहन सार्वजनिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (आईपीएचएस) में महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य द्वारा मौतों की पहली ऐसी डोर-टू-डोर गिनती से पता चला है कि अप्रैल-मई 2021 के दौरान राज्य में 25,490 लोगों की मौत हुई हैं। यह राज्य के अप्रैल-मई 2019 में आधिकारिक तौर पर सभी 24 जिलों में पंजीकृत 17,819 मौतों की तुलना में 43 प्रतिशत ज्यादा है।
आईपीएचएस डोर-टू-डोर सर्व ने राज्य की पूरी 3.5 करोड़ आबादी को कवर करने की योजना बनाई गई थी। जिसके बाद 2.56 करोड़ लोगों या लगभग तीन-चौथाई आबादी को इसमें कवर किया गया। यह 25 मई से 5 जून के बीच 80,000 से अधिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा), एएनएम (सहायक नर्स) और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) की मदद से किया गया।
इस सर्वेक्षण के दो प्राथमिक उद्देश्य थे। पहला कोरोना को लेकर जागरूकता फैलाना, कोविड -19 के लिए टेस्ट दवाओं के बारे में सलाह देना और महामारी के प्रसार को रोकना। वहीं दूसरा ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली मौतों की गणना इस चिंता के साथ करना कि मौतें दर्ज नहीं की जा रही हैं। सर्वेक्षण में संकेत के अनुसार मौतों की संख्या में तेज वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर झारखंड के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरुण सिंह ने बताया कि सर्वे के दौरान 25,000 से अधिक मौतें दर्ज की गईं। हालांकि हम अभी भी नहीं जानते कि इन मौतों का कारण क्या है? हमने अब सर्वेक्षण में दर्ज मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए एक और कवायद शुरू की है।
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बता दें कि आधिकारिक तौर पर राज्य ने कहा है कि इस साल अप्रैल-मई के दौरान कोविड -19 के कारण 3,864 मौतें हुईं। वहीं झारखंड डीईएस के कनिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी शिशिर चौधरी ने कहा कि सर्वेक्षण से देखी गई मौतों में तेज वृद्धि इसलिए भी हो सकती है क्योंकि अतीत में ग्रामीण क्षेत्रों में सभी मौतों को दर्ज नहीं किया गया था। हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ वृद्धि संदिग्ध कोविड -19 मौतों के कारण हो सकती है।