शबनम ने यूपी की राज्यपाल से फिर लगाई दया की गुहार, डेथ वारंट के लिए शुरू हो चुकी है उल्टी गिनती
Shabnam And Saleem Shocking Story, रामपुर। फांसी की सजा मुकर्रर होने के बाद शबनम ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका लगाई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। इसी के साथ शबनम के डेथ वारंट के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई। लेकिन उसे किस दिन फांसी दी जाएगी इसकी तारीख अभी मुकर्रर नहीं हो सकी है। इस बीच 13 साल के ताज ने राष्ट्रपति से तो खुद शबनम ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से दया की गुहार लगाई है। शबनम के दो वकील गुरुवार को रामपुर जिला कारागार पहुंचे, जहां उन्होंने जेल अधीक्षक को दया याचिका सौंपी है। वहीं, अब जेल अधीक्षक प्रदेश की राज्यपाल को शबनम का यह प्रार्थनापत्र भेजेंगे। इसके बाद एक बार फिर ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या टल जाएगी शबनम की फांसी?
रामपुर जेल अधीक्षक को सौंपी दया याचिका
प्राप्त समाचार के मुताबिक, शबनम के दो वकील गुरुवार को रामपुर जिला जेल पहुंचे। यहां उन्होंने जेल अधीक्षक से मुलाकात कर उन्हें शबनम की दया याचिका, जो राज्यपाल को संबोधित थी वो सौंपी है। इस याचिका में शबनम को फांसी की सजा माफ किए जाने की मांग की गई है। वहीं, रामपुर जेल अधीक्षक पीडी सलोनिया ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि दो अधिवक्ता आए थे, जिन्होंने प्रार्थना पत्र दिया है। प्रार्थना पत्र राज्यपाल को प्रेषित किया जा रहा है। बताया कि राज्यपाल से दया की उम्मीद का शबनम का यह दूसरा प्रयास है। पूर्व में उसकी दया याचिका राज्यपाल के स्तर से खारिज हो चुकी है।
शबनम के बेटे 'ताज' ने भी लगाई राष्ट्रपति से दया की गुहार
उधर, बुलंदशहर के सुशीला विहार कॉलोनी में रहने वाले शबनम के 13 के बेटे ताज ने भी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपनी मां को माफ करने की गुहार लगाई है। दरअसल, ताज को पत्रकार उस्मान सैफी ने गोद लिया था। उस्मान के संरक्षण में शबनम का बेटा ताज पला-बढ़ा है। ताज को भी अब अपने मां (शबनम) के गुनाहों का अहसास है। हालांकि, 13 साल के ताज ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपनी मां को माफ करने की गुहार लगाई है। पत्रकार उस्मान ने ताज द्वारा राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखे जाने की जानकारी दी। उस्मान ने बताया कि फांसी की सजा पाने वाली शबनम मौजूदा समय में रामपुर जेल में बंद है। 21 जनवरी को वो ताज लेकर रामपुर जेल गए थे, जहां उन्होंने उसकी मां शबनम से मुलाकात करवाई थी। शबनम ने ताज को टॉफ़ी भी दी थी।
अभी नहीं मिला है डेथ वारंट
रामपुर के जेलर आरके वर्मा ने मीडिया को बताया कि डेथ वारंट की मांग अमरोहा के जिला जज से की गई है, लेकिन अभी तक डेथ वारंट नहीं मिला है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को मथुरा जेल भेज दिया जाएगा। क्योंकि, यूपी में महिला को फांसी की व्यवस्था मथुरा में ही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल जेल में शबनम का व्यवहार सामान्य है। शबनम को रामपुर जेल की महिला बैरिक नंबर 14 में रखा गया है।
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जानिए कौन है शबनम, जिसे आजाद भारत के इतिहास में मिलेगी होगी फांसी
शबनम अली, उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के हसनपुर थाना क्षेत्र के बावनखेड़ी गांव की रहने वाली है। शबनम के पिता शौकत अली शिक्षक थे। वो उनकी एकलौती बेटी थी और स्कूल में छोटे बच्चों को पढ़ाती थी। शबनम ने अंग्रेजी और भूगोल में एमए किया था। बच्चों को पढ़ाने के दौरान शबनम को सलीम से प्यार हो गया। लेकिन सलीम पांचवीं फेल था और पेशे से एक मजदूर था। इसलिए दोनों के संबंधों को लेकर परिजन विरोध कर रहे थे। 14-15 अप्रैल 2008 की काली रात को शबनम ने सलीम के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार की हत्या कर दी। इस जघन्य हत्याकांड में शबनम के परिवार का कोई जिंदा बचा था तो वो खुद शबनम और उसके पेट में पल रहा दो माह का बेटा ही था। बता दें कि शबनम अली, वो महिला कैदी है जिसे आजाद भारत के इतिहास में पहली बार फांसी पर लटकाया जाएगा।
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हम क्या करेंगे ऐसी लड़की की लाश लेकर?
शबनम की चाची ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा, 'उस समय अगर हम भी घर में होते तो उसने हमें भी मार डाला होता, लेकिन हम उस समय घर में नहीं थे।' हम तो आधी रात के बाद घर पहुंचे थे तो घर के बाहर भीड़ जमा थी। आज भी उसदिन के मनजर को याद कर रूह कांप जाती है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि याचिका खारिज हो गई, हम तो बहुत खुश हैं। अच्छा किया सरकार ने इसे फांसी होनी चाहिए। वहीं, चाचा ने मीडिया कर्मियों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वहीं हम उसके शव को नहीं लेंगे, हम नहीं लेंगे। हम क्या करेंगे ऐसी लड़की की लाश लेकर?
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