'चैंबर में बुलाकर साथ सोने को कहने लगा...' PHD छात्रा के आरोप सही पाए जाने पर 9 माह बाद प्रोफेसर सस्पेंड
राजकोट। सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी में पीएचडी की छात्रा से सेक्सुअल हरेसमेंट करने वाला प्रोफेसर बर्खास्त कर दिया गया है। इस मामले में 30 अगस्त 2018 छात्रा ने प्रोफेसर नीलेश पंचाल के खिलाफ शिकायत की थी। छात्रा की शिकायत पर विवि प्रशासन ने जांच शुरू की। यह जांच निवृत जज दिनेश त्रिवेदी को सौंपी गई थी। जांच से जुड़ी 441 पन्नों की रिपोर्ट के आधार पर प्रोफेसर दोषी पाया गया। छात्रा के मुताबिक, नीलेश पंचाल ने मुझे अपने चैंबर में बुलाया था। मैं वहां गई तो वह मुझे अनुचित तरीके से छूने लगा। फिर साथ सोने की बातें भी कह रहा था।''
सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार सेक्सुअल हरेसमेंट में प्रोफेसर सस्पेंड
संवाददाता ने बताया कि जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें पीड़िता की शिकायत और प्रोफेसर नीलेश पंचाल पर लगाए गए तमाम आरोप सही पाए गए। जिसके चलते सिंडिकेट सदस्यों ने उस प्रोफेसर को बर्खास्त करने का निर्णय लिया है। सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के इतिहास में यह पहला मामला है जब किसी प्रोफेसर को सेक्सुअल हरेसमेंट के केस में डिसमिस किया जा रहा है। पीड़ित छात्रा ने जो आरोप लगाए थे, उसकी जांच एंटी सेक्सुअल वुमन्स हैरेसमेंट सेल को सौंपी गई थी और उसके रिपोर्ट के आधार पर प्रोफेसर को काम करने से रोक दिया गया था। बाद में आगे की जांच निवृत जज को सौंपी गई थी।
छात्रा ने यह भी कहा था शिकायत में
पीड़िता ने शिकायत में कहा, ''पहले दिन से ही प्रोफेसर नीलेश पंचाल ने छात्राओं का हाथ पकड़ना और कंधे एवं कमर पर हाथ रखना शुरू कर दिया था। डेढ़ साल तक सभी छात्राओं का मोबाइल चेक कर गंदे-गंदे कमेन्टस करता था। एक छात्रा ने अपने पिता से उसकी शिकायत की तो पिता ने पंचाल को वॉर्न किया। तब पंचाल ने माफी मांगी थी। हालांकि, वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और हैरेसमेंट करता रहा। मेरे पिता ने साढ़े चार साल में आठ बार प्रोफेसर को समझाया। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा।
आज मिला न्याय, लेकिन यूनिवर्सिटी ने खड़े कर दिए हाथ
मेरे एतराज जताने पर उसने मानसिक टॉर्चर करना शुरू किया। कोई बात सुनता नहीं था। कुछ पूछे तो उसका जवाब भी नहीं देता था। इतना ही नहीं जबरन किस भी किया था और कहा था कि, अगर पीएचडी कंप्लीट करनी है तो मेरे साथ मेरी कार में दीव आकर सोना होगा। जिसके चलते 30 अगस्त को मैने एंटी सेक्सुअल हैरेसमेंट कमिटी में शिकायत दर्ज कराई। अब आज मुझे न्याय मिला है। हालांकि, प्रोफेसर दोषी साबित होने के बावजूद यूनिवर्सिटी द्वारा पुलिस में उसकी शिकायत दर्ज करवाने से स्पष्ट मना किया जा रहा है। कुलपति के मुताबिक, यूनिवर्सिटी का काम यहां खत्म होता है। अगर पीड़िता चाहे तो पुलिस में शिकायत दर्ज करवा सकती है।