नर्मदा के पानी पर गुजरात-मप्र में विवाद, CM रुपाणी ने कहा- चेता रहा हूं, धमकियां बर्दाश्त नहीं होंगी
राजकोट। नर्मदा के पानी को लेकर गुजरात और मध्य प्रदेश सरकार के बीच विवाद शुरू हो गया है। मध्यप्रदेश द्वारा बिजली के कम उत्पादन को लेकर नर्मदा का पानी बंद करने की चेतावनी दी गई। जिसको लेकर राजकोट आए मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी प्रतिक्रिया दी। जिसमें उन्होंने कहा कि, 1979 में कोर्ट ने इस मामले में आदेश दिया था। फ़िलहाल उसी के अनुसार नर्मदा का पानी चार राज्यों को मिल रहा है। ऐसे में मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार राजनीति कर रही है। मगर, गुजरात सरकार कोई धमकी को बर्दाश्त नहीं करेगी।'
'नर्मदा के पानी पर एकाधिकार चारों में से किसी एक राज्य का नहीं'
मालूम हो कि 2018 से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और गुजरात में भाजपा कई दशक से सत्ता में है। नर्मदा विवाद पर गौर करें तो नर्मदा योजना पूरी न हो इसके लिए कांग्रेस सरकार द्वारा पहले भी कई कोशिशें की गई थीं। हालांकि, नियमों के मुताबिक, नर्मदा के पानी के बारे में निर्णय लेने का अधिकार चार में से किसी भी राज्य के पास नहीं है।
'बिजली का 57 प्रतिशत हिस्सा मध्यप्रदेश सरकार को देंगे'
गुजरात सरकार के अनुसार, सरदार सरोवर ब्रिज में 250 मेगावॉट कैनाल हेड पावर हाउस में बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। बिजली का उत्पादन होने के बाद ही नर्मदा के पानी का उपयोग किया जाता है। साथ ही उत्पादित बिजली का 57 प्रतिशत हिस्सा मध्यप्रदेश सरकार को दिए जाने की बातें भी गुजरात सरकार ने कही हैं।
'एमपी सरकार को चेतावनी देता हूं कि राजनीति न करें'
मुख्यमंत्री विजय रुपाणी का कहना है कि 40 साल से चारों राज्य मिलकर नर्मदा के पानी का निर्णय ले रहे हैं। आज तक कभी भी ऐसी कोई समस्या उपस्थित नहीं हुई, लेकिन एमपी की कांग्रेस सरकार राजनीतिक कटुता की वजह से ऐसा कर रही है, जो सरासर गलत है। मैं मध्य प्रदेश के मंत्री और मुख्यमंत्री को चेतावनी देता हूं कि इस मामले को लेकर राजनीति न करें। कमलनाथजी और उसके लोगों को यह बात शोभा नहीं देती।'
2024 तक गुजरात को नर्मदा का पानी लेने का अधिकार
''करार के मुताबिक, 2024 तक गुजरात सरकार को नर्मदा का पानी लेने का अधिकार है और इसको कोई झुटला नहीं सकता है। साथ ही गुजरात कांग्रेस को भी इसका जवाब देने की अपील की है।'