गुजरात: 116 दलितों ने किया मुख्यमंत्री से सवाल- हमें जीने दोगे या गुंडों के हाथों मरने के लिए छोड़ देंगे?
कच्छ। गुजरात में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं एक के बाद एक सामने आ रही है। हाल ही में बोटाद शहर में दलित उपसरपंच मनजी सोलंकी की निर्मम हत्या की गई थी। ऐसे में वागड़ के नाम से पहचाने जाने वाले रापर-भचाऊ के भूमिहीन दलित किसानों का मुद्दा सामने आया है। यहां के दलित किसानों को सरकार द्वारा दी गई जमीनों पर अन्य उच्च समुदाय के कुछ गुंडों ने सालों से कब्जा कर लिया है। जिसके चलते उन्होंने सीएम रुपाणी से सवाल किया है कि साहब जीने दोगे या गुंडों के हाथों मरने के लिए छोड़ देंगे?
दलित नेता जिग्नेश मेवाणी द्वारा भी इस बारे में राज्यपाल के समक्ष न्याय की मांग की गई है। उनके द्वारा कहा गया है कि, 35 साल पहले 1984 में राज्य सरकार द्वारा रापर के 698 दलित किसानों और संस्थानों को 3 हजार एकड़ जमीन खेती के लिए दी गई। लेकिन कई सालों से उच्च समुदाय के गुंडों ने इस जमीनों पर कब्जा कर लिया है। जिसके चलते गरीब दलित किसान यहां खेती करने की सोच ही नहीं सकता है। ऐसे ही हालात भचाऊ में हैं, यहां सरकार द्वारा दी गई 4480 एकड़ जमीन से 25 प्रतिशत ही दलितों के पास है। मेवाणी ने वागड़ के 116 दलितों की शिकायत दर्ज कर उनको सुरक्षा देने की मांग करने के साथ आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
रापर तालुका अनुसूचित जाति सामुदायिक किसान मंडली के प्रमुख रामजी भदरु के मुताबिक, पिछले साल मेवाणी द्वारा सामखियाली हाइवे जैम करने की चेतावनी दिए जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया और दलितों को जमीनों का कब्जा दिलाकर सुरक्षा देने का प्रयास भी किया गया। हालांकि बाद में मामला ठंडा हो गया। खेतों से वापिस लौट रहे मेरे दो भाइयों की संदिग्ध तरीके से हुई मौत के बाद से हम हरपल डर-डर के जी रहे हैं।'' ऐसे में वागड़ के दलितों को जल्द ही न्याय मिलना जरूरी हो गया है। इस मामले को लेकर कलेक्टर और गृहमंत्री का संपर्क करने का प्रयास भी किया गया, लेकिन अभी तक उनके साथ बात नहीं हो पाई है।