राजस्थान के चूरू में ही आसमां से क्यों बरसते हैं 'अंगारे', जानिए सबसे गर्म जगह होने की वजह
Churu News in Hindi, चूरू। राजस्थान का चूरू एक बार फिर सुर्खियों में है। इन दिनों यहां आसमां से अंगारे बरस रहे हैं। जिले का कोना-कोना भट्टी की मानिंद तप रहा है। दोपहर को बाजारों में सन्नाटा पसर रहा है। सड़कों पर अघोषित कर्फ्यू सा लग रहा है। हर तरफ हाल-बेहाल हैं। अधिकतम तापमान 50 डिग्री पार जाकर अब तक के सारे रिकॉर्ड धवस्त कर चुका है। ( churu is the Hottest place in India) चूरू दुनिया की सबसे अधिक गर्म जगहों में से एक है। ऐसे में सबके मन में यही सवाल कौंध रहा है कि आखिर चूरू इतना गर्म क्यों?
वन इंडिया ने मौसम वैज्ञानिकों, भूगोल के जानकारों और चूरू के वाशिंदों से बात कर यह जानने की कोशिश की कि क्यों चूरू में ही गर्मी का सबसे अधिक कहर बरपता है? क्यों यहां सर्दियों में खून जमा देने वाली सर्दी पड़ती है और गर्मियों में भीषण गर्मी? सबकी बातों का लब्बोलुआब यही निकला है कि ( Churu Mosam ) चूरू जिले की भौगोलिक स्थिति ही इसकी जिम्मेदार है। आइए जानते हैं ऐसा क्या है चूरू की धरती में?
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मौसम वैज्ञानिक जिलेसिंह की नजर में
चूरू स्थित मौसम केन्द्र में 35 साल तक नौकरी कर चुके मौसम वैज्ञानिक जिलेसिंह राव बताते हैं कि 01 जून 2019 को चूरू में अधिकतम तापमान ने नया रिकॉर्ड कायम किया है। इस दिन चूरू मौसम केन्द्र में अधिकतम तापमान 50.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो चूरू के मौसम केन्द्र के अब तक के इतिहास में सर्वाधिक है। इससे पहले वर्ष 2016 में अधिकतम तापमान 50.2 डिग्री रहा था।
जिले सिंह राव के अनुसार चूरू में ज्यादा गर्मी पड़ने की वजह
1.
चूरू
की
मिट्टी
में
कण
बेहद
सूक्ष्म
हैं,
जिनकी
स्पेसिफिक
हीट
कैपेसिटी
कम
है।
इसी
वजह
से
चूरू
की
मिट्टी
अन्य
जगहों
की
तुलना
में
जल्दी
गर्म
हो
जाती
है।
2.
चूरू
में
पेड़-पौधे
कम
हैं।
वनस्पति
का
कम
होना
भी
यहां
सर्वाधिक
गर्मी
की
एक
वजह
है।
3.
भूगर्भ
में
पानी
और
हवा
में
नमी
की
कमी
भी
चूरू
में
अधिक
गर्मी
पड़ने
के
कारणों
को
बढ़ाती
है।
4.
पश्चिम
की
ओर
से
चूरू
में
तीन
किलोमीटर
प्रतिघंटा
की
रफ़्तार
से
गर्म
हवाएं
भी
चलती
हैं।
भूगोल के जानकार की नजर में
चूरू के लोहिया महाविद्यालय के सह आचार्य डॉ. रविन्द्र कुमार बुडानिया भी मौसम वैज्ञानिक जिलेसिंह राव की बातों से इत्तेफाक रखते हैं। बुडानिया बताते हैं कि चूरू के मौसम की सारी केमिस्ट्री यहां के भूगोल में छिपी है। यूं तो राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर समेत कई जिलों की भौगोलिग स्थिति चूरू जिले के समान है, मगर कुछ मामलों में चूरू उन जिलों से अलग है। इसी वजह से यहां मौसम की मार अधिक है।
लोहिया कॉलेज के सह आचार्य बुडानिया के अनुसार चूरू इसलिए अधिक गर्म
1.
चूरू
की
बालू
मिट्टी
के
बारिक
कण
आपस
में
पूरी
तरह
से
जुड़े
हुए
हैं,
जो
सूर्य
के
ताप
को
ज्यादा
गहराई
तक
जाने
से
रोकते
हैं।
ऐसे
में
चूरू
के
धरातल
का
ऊपरी
भाग
बेहद
गर्म
हो
जाता
है।
2.
चूरू
में
वनस्पति
कम
है।
ना
ही
यहां
नदी
बहती
है
और
ना
कोई
बांध
बना
हुआ
है।
3.
चूरू
की
भौगोलिक
स्थिति
ऐसी
है
कि
यहां
सूरज
की
किरणें
सीधी
पड़ती
हैं,
इसी
वजह
से
चूरू
गर्मियों
में
धधक
उठता
है।
4.
सूरज
की
किरणें
यूं
तो
मरुस्थलीय
जिले
जैसलमेर,
बाड़मेर
में
भी
इसी
तरह
से
गिरती
हैं,
मगर
वहां
बालू
के
टीले
(धोरे)
अधिक
हैं
और
उनकी
बनावट
चूरू
के
टीलों
से
अलग
है।
वरिष्ठ पत्रकार माधव शर्मा के अनुसार चूरू का तापतान 52 पार
चूरू के वरिष्ठ पत्रकार माधव शर्मा बताते हैं कि उत्तर भारत में हिमालय से अरावली पर्वत श्रृंखलाओं तक मौसम की पट्टी बनी हुई है, जिसमें राजस्थान के चूरू, झुंझुनूं, सीकर, श्रीगंगानगर, बाड़मेर व जैसलमेर व इनके आस-पास का क्षेत्र आता है। इस पूरे क्षेत्र में सर्वाधिक गर्म हवाएं चलती हैं। चूरू में वनस्पति का घटना यहां के तापमान को बढ़ा रहा है।
शर्मा कहते हैं कि चूरू शहर के बाजार में आपको गर्मी कम महसूस होगी, मगर बाजार की बजाय पंखा सर्किल की तरफ जाने पर गर्मी अधिक लगेगी। इसी तरह से चूरू का मौसम केन्द्र कलेक्ट्रेट के पास जहां स्थित है, वहां पेड़-पौधे अधिक हैं। ऐसे में चूरू का अधिकतम तापमान 50.8 की बजाय 52 डिग्री को पार कर गया होगा, लेकिन मौसम केन्द्र में 50.8 डिग्री सेल्सियस ही रिकॉर्ड हो पाया है।
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यूं टूटा चूरू के तापमान का रिकॉर्ड
वर्ष तापमान
09
जून
1993
49.8
26
मई
1998
49.9
18
मई
2016
50.1
19
मई
2016
50.2
01
जून
2019
50.8
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