फिल्म पानीपत का राजस्थान के जाट क्यों कर रहे विरोध, जानिए कौन थे भरतपुर के महाराजा सूरजमल, VIDEO
भरतपुर। राजस्थान में फिल्म 'पद्मावत' के बाद फिर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म को लेकर बवाल मचा है। इस बार की फिल्म का नाम है 'पानीपत'। फिल्म 'पद्मावत' का संबंध चित्तौड़गढ़ की महारानी पद्मावती से था तो फिल्म 'पानीपत' में भरतपुर के महाराजा सूरजमल की कहानी दिखाई गई। 'पद्मावत' में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाकर राजपूत आंदोलनरत हुए थे तो अब 'पानीपत' के खिलाफ जाट समुदाय सड़कों पर उतर आया है। ऐसे में जानिए कौन थे महाराजा सूरजमल और फिल्म पानीपत की कौनसी बात को लेकर लोगों आपत्ति जता रहे हैं।
महाराजा सूरजमल ने भरतपुर को बसाया
इतिहासकार बताते हैं कि राजस्थान के भरतपुर को महाराजा सूरजमल ने बताया था। महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 को हुआ। वे राजा बदनसिंह 'महेन्द्र' के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता से बैर की जागीर मिली थी। इन्होंने सन 1743 में भरतपुर नगर की नींव रखी और 1753 में वहां आकर रहने लगे। उनके क्षेत्र में भरतपुर सहित आगरा, धौलपुर, मैनपुरी, हाथरस, अलीगढ़, इटावा, मेरठ, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, गुडग़ांव और मथुरा शामिल थे।
फिल्म पानीपत की इस बात पर विवाद
फिल्म पानीपत में मराठा योद्धा सदाशिव राव भाऊ का किरदार अर्जुन कपूर ने निभाया है। वे फिल्म में अफगानों के खिलाफ मदद करने के लिए महाराजा सूरजमल से कहते हैं लेकिन सूरजमल बदले में कुछ चीज चाहते हैं। मांग पूरी नहीं होने पर वे सदाशिव के साथ युद्ध में जाने से इनकार कर देते हैं। इसके अलावा फिल्म में दिखाए गए स्थानीय लोग राजस्थानी और हरियाणवी बोल रहे हैं। भाषा को लेकर भी लोगों की आपत्ति है। विरोध करने वालों का तर्क है कि महाराजा सूरजमल को लालची शासक के रूप में दिखाई गया है, जो गलत है। जबकि उन्होंने तो पानीपत युद्ध को लेकर कई बेहतरीन सुझाव दिए थे।
पानीपत के युद्ध में महाराजा सूरजमल के सुझाव
1. पानीपत का तीसरा युद्ध 14 जनवरी 1761 को हुआ था। महाराजा सूरजमल ने सलाह दी थी कि अब्दाली की सेना पर अभी आक्रमण मत करो क्योंकि अभी सर्दी है और अफगान सैनिक इसे असानी से सह लेंगे। ये लोग गर्मी नहीं सह सकते। इसलिए गर्मी में हमला करना ठीक होगा।
2. मराठा शासक इस युद्ध में कई हजार स्त्रियों और बच्चों को लेकर चले थे। महाराजा सूरजमल का कहना था कि युद्ध में स्त्रियों और बच्चों को साथ लेकर मत घूमो। इससे इनकी सुरक्षा में ध्यान बंटेगा। उन्होंने भरतपुर के डीग के किले में इन्हें सुरक्षित रखने की सलाह दी थी।
पेशवा ने नहीं माने थे महाराजा के सुझाव
3. महाराजा सूरजमल ने यह भी सलाह दी थी कि शत्रु की सेना पर सीधा आक्रमण नहीं करना चाहिए क्योंकि अब्दाली के पास बड़ी सेना है और भारत के बहुत मुस्लिम शासक उसके पक्ष में हैं। इसलिए इनसे झपट्टामार लड़ाई करते हुए छापे मारो।
4. महाराजा सूरजमल ने मराठाओं को लाल किले की सम्पत्ति और युद्ध के दौरान आसपास के लोगों को लूटने से भी मना किया था। उनका तर्क था कि इससे मुस्लिम शासकों के सरदार नाराज होकर अब्दाली से मिल जाएंगे।
मराठा सेनाओं का वेतन तक देने की पेशकश की
5. भरतपुर के शासक ने राज्य के कोष से मराठा सेनाओं का वेतन तक देने की पेशकश की थी। युद्ध में मुगलों को साथ मिलाने का भी सुझाव दिया था। इस युद्ध को रणनीति से जीतने के लिए उन्होंने कई सुझाव दिए थे लेकिन मराठाओं के साथ हुए इस मतभेद ने भारत को ऐसे युद्ध में झोंक दिया, जिससे देश को लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजी शासन झेलना पड़ा।
भरतपुर में आशुतोष गोवारिकर का पुतला दहन
फिल्म पानीपत के विरोध में भरतपुर में जाट समुदाय के लोगों ने महाराजा सूरजमल चौराहे पर फिल्म निदेशक आशुतोष गोवारिकर का पुतला दहन कर प्रर्दशन किया। साथ ही फिल्म पर रोक लगाने की मांग रखी। जाट नेता नेम सिंह फौजदार आदि ने बताया कि फिल्म पानीपत में दिखाया गया है कि मराठा शासक सदाशिव भाउ अहमद शाह अब्दाली से पानीपत का युद्द करने जा रहा था। उससे पहले सदाशिव भाउ भरतपुर शासक के पास युद्द में सहायता मांगने पहुंचा।
महाराजा सूरजमल को एक लालची शासक के रूप में पेश किया
महाराजा सूरजमल द्वारा पानीपत युद्द के लिए दिए गए सुझावों को सदाशिव ने मानने से इंकार कर दिया था। इस वजह से महाराजा सूरजमल ने पानीपत युद्द में सदाशिव का साथ नहीं दिया और उस लड़ाई में सदाशिव की मौत हो गई। जबकि फिल्म में इतिहास के तथ्यों को तोड़-मरोड़कर महाराजा सूरजमल को एक लालची शासक के रूप में पेश किया जा रहा है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।