राजस्थान ऑडियो कांड : 34 साल के सियासी सफर में पहली बार मंत्री बने विश्वेंद्र सिंह यूं फंसे
भरतपुर। राजस्थान की राजनीति में अब ऑडियो टेप की गूंज है। पहले सरकार गिराने की साजिश, फिर एसओजी का नोटिस, उसके बाद डिप्टी सीएम व 2 मंत्रियों को हटाना और अब ऑडियो कांड से राजस्थान में सियासी पारा सातवें आसमान पर है। राजस्थान ऑडियो कांड के लपेटे में चूरू जिले के सरदारशहर से विधायक भंवर लाल शर्मा के साथ-साथ भरतपुर जिले के डीग-कुम्हेर से विधायक विश्वेंद्र सिंह आए हैं।
विश्वेन्द्रसिंह तथा विधायक भंवरलाल शर्मा निलम्बित
शुक्रवार को कांग्रेस कमेटी ने पर्यटन मंत्री रहे विश्वेन्द्रसिंह तथा विधायक भंवरलाल शर्मा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलम्बित कर दिया है। राजस्थान के राजनीतिक संकट के बीच एक के बाद एक करके वायरल तीन ऑडियो में से एक के बारे में दावा किया जा रहा है कि वो विश्वेंद्र सिंह का है। हालांकि वन इंडिया हिंदी डॉट कॉम ऑडियो की सत्यता की और इसमें आवाज विश्वेंद्र सिंह की होने की पुष्टि नहीं करता है।
क्या है वायरल ऑडियो में
सोशल मीडिया में वायरल हो रहे 1 मिनट 37 सेकंड के कॉल रिकॉर्डिंग के इस ऑडियो में हिंदी और अंग्रेजी दोनों में बात की जा रही है। सामने वाला शख्स कहता है कि हमारे विधायक जो दिल्ली बैठे है। वो पैसा ले चुके हैं। पहली किश्त पहुंच चुकी है श्रीनगर। हम कब मिल सकते हैं। कल आप आराम से 11 बजे तक मिलो। मैं आपसे आठ या नौ बजे दिल्ली में मिलता हूं। हम लीगल काम चाहते हैं। दूसरी तरफ से जवाब आता है कि आपने तय तो कर लिया ना कि क्या एक्शन लेना है।
पर्यटन मंत्री बनाए गए थे विश्वेंद्र सिंह
सचिन पायलट खेमे के विधायक विश्वेंद्र सिंह पर अशोक गहलोत की सरकार गिराने की साजिश रचे जाने का यह बड़ा आरोप लगने के मौके पर आइए जानते हैं विश्वेंद्र सिंह के 34 साल के राजनीतिक जीवन के बारे में। राजनीति में इनती लम्बी पारी खेलने के बाद राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में जीतकर विश्वेंद्र सिंह पहली बार मंत्री बने थे। गहलोत सरकार में इन्हें पर्यटन मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
विश्वेंद्र सिंह की जीवनी
-विश्वेंद्र सिंह भरतपुर राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। महाराजा सूरजमल के वंशज हैं। मूलरूप से भरतपुर सिनसिन गांव के रहने वाले हैं।
-1987
में
25
वर्ष
की
आयु
में
ही
विश्वेंद्र
सिंह
राजनीति
में
कदम
रख
दिया
था।
ये
अपनी
बेबाकी
के
लिए
जाने
जाते
हैं।
-1988
में
कांग्रेस
से
जिला
प्रमुख
चुने
गए।
1989
में
जनता
दल
से
लोकसभा
सांसद
चुने
गए।
-विश्वेंद्र
सिंह
उन्होंने
मंडल
कमीशन
के
मामले
को
लेकर
इस्तीफा
दे
दिया
था।
क्योंकि
उस
समय
युवाओं
ने
आत्महत्या
की
थी।
-1993
के
विधानसभा
चुनाव
में
नदबई
विधानसभा
से
कांग्रेस
से
विधायक
चुने
गए।
-1999
और
2004
में
लगातार
दो
बार
भरतपुर
से
भाजपा
से
लोकसभा
सदस्य
चुने
गए।
-2009
में
भरतपुर
लोकसभा
सीट
आरक्षित
होने
के
कारण
लोकसभा
का
चुनाव
नहीं
लड़
सके।
-राज्य
की
पूर्व
मुख्यमंत्री
वसुंधरा
राजे
सिंधिया
के
राजनीतिक
सलाहकार
भी
रहे।
-2013
में
डीग-कुम्हेर
विधानसभा
सीट
से
कांग्रेस
की
टिकट
पर
चुनाव
लड़ा
था।
-2018
में
डीग-कुम्हेर
सीट
से
कांग्रेस
की
टिकट
पर
चुनाव
लड़ा
और
विजयी
हुए।
इस
बार
वह
मंत्री
बने।
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हमने तो जनता की मांग उठाई थी
डिप्टी सीएम के साथ ही विश्वेंद्र सिंह समेत दो मंत्रियों से पद छीन लिए जाने के बाद मीडिया से बातचीत में विश्वेंद्र सिंह ने कहा था कि मैं सीएम अशोक गहलोत से पूछना चाहता है कि हमने कहां पार्टी विरोधी या पार्टी के खिलाफ बयान दिया है। जो पार्टी के घोषणा पत्र में बिजली, पानी, कर्जामाफी को शामिल किया था, वह जनता की मांग है। दो साल बाद भी हम लागू नहीं कर सके हैं। हम तीन लोग व साथियों की क्या गलती है कि हमें बर्खास्त किया है। मुझे चिंता नहीं है मंत्री पद की। जिस जनता ने हमें चुनकर भेजा उनके लिए मुख्यमंत्री का क्या जबाव है।
पिछले माह चलाया था साफा विद ट्विटर अभियान
राजस्थान की संस्कृति को प्रमोट करने के लिए पर्यटन मंत्री रहते हुए विश्वेन्द्र सिंह ने चार जून को साफा विद ट्वीटर अभियान शुरू किया था। ट्वीटर पर राजस्थान की आन, बान और शान की प्रतीक मानी जाने वाली पगड़ी #SafaWithTwitter अभियान के तहत ट्रेंड करने लगी थी। अभियान को राजस्थान कांग्रेस-भाजपा समेत अन्य प्रदेश के नेताओं व लोगों का खूब समर्थन मिला था।
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