Vijay Diwas : 'बैटल ऑफ लोंगेवाला' की कहानी, जैसलमेर बन गया था पाकिस्तानी टैंकों की क्रबगाह
जैसलमेर। साल 1971 का वो युद्ध मैदान जो पाकिस्तानी टैंकों की कब्रगाह बन गया था। 4, 5 और 6 दिसंबर 1971 को थार रेगिस्तान में लोंगेवाला में दुनिया की सबसे खतरनाक टैंकों की लड़ाई हुई थी। उस भारत पाक युद्ध में 23वीं पंजाब रेजिमेंट के सिर्फ 120 भारतीय सिपाहियों की एक टोली ने पाकिस्तानी सेना के दो से तीन हज़ार फौजियों को धूल चटा दी थी। कुछ ही घंटों में भारतीय सेना के जाबांजों ने पाकिस्तान के 40 से ज्यादा टैंक नेस्तानाबुत कर दिए थे। क्या हुआ था उस दिन। चलिए आपको बताते हैं। इस बैटल की कहानी युद्ध में शामिल रहे 23वीं पंजाब रेजिमेंट के कुछ वीरों की जुबानी।
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पाकिस्तानी फौज को लोंगेवाला में चटाई धूल
कहा जाता है कि पाकिस्तान के तत्कालीन ब्रिगेडियर तारिक मीर की योजना थी कि भारत पर हमले के बाद पाकिस्तानी सैनिक नाश्ता लोंगेवाला में करेंगे। दोपहर का खाना रामगढ़ में खाएंगे और रात का खाना जैसलमेर में होगा। यानी उनकी नज़र में सारा खेल एक ही दिन में खत्म हो जाना था, लेकिन भारतीय जाबांजों ने पाकिस्तानी फौज को लोंगेवाला में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ने दिया और पाकिस्तान की सारी योजना फेल हो गई।
जैसलमेर पर कब्जा करना चाहती थी पाकिस्तानी सेना
लोंगेवाला में हुए युद्ध को दुनिया के सबसे भयानक टैंक युद्धों में एक माना जाता है। पाकिस्तानी सेना 1971 के युद्ध में टैंकों से लैस होकर जैसलमेर वाले क्षेत्र में कब्जा करना चाहती थी, लेकिन भारतीय शूरवीरों ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब देते हुए उनके मंसूबों को पूरी तरह नाकाम कर दिया था। 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान ने फिर कभी पश्चिमी सीमा की ओर ताकने की गुस्ताखी नहीं की।
इन्होंने लड़ी थी लोंगेवाला की लड़ाई
बता दें कि सतनाम सिंह, जगदीश सिंह, राजकुमार और बलवान सिंह आदि वो जिंदा वीर सैनानी हैं, जिन्होंने 23वीं पंजाब रेजिमेंट में रहते हुए भारत पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग में शेर की तरह लड़े और पाकिस्तान को धूल चटाकर ही दम लिया।
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