वसुंधरा राजे की 'गौरव यात्रा' को लेकर कभी भी आ सकता है फैसला, सुनवाई पूरी
जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की 'राजस्थान गौरव यात्रा' को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में हो रही सुनवाई सोमवार को पूरी हो गई। हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसे कभी भी सुनाया जा सकता है। याचिकाकर्ता विभूति भूषण शर्मा ने याचिका में आरोप लगाया है कि राजस्थान गौरव यात्रा में सरकारी धन और मशीनरी के दुरूपयोग किया जा रहा है।
राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने गौरव यात्रा को लेकर सुनवाई पूरी कर ली और फैसले को सरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को कहा कि चालीस दिन चलने वाली इस यात्रा में 165 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए 134 आम सभाएं की जाएंगी। यह यात्रा 6 हजार 54 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की ओर से विभागों को आदेश जारी कर यात्रा में व्यवस्थाएं करने को कहा गया है। यात्रा की मीडिया कवरेज के लिए डीआईपीआर को निर्देश दिए गए हैं। याचिका में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सहित सरकारी अधिकारियों को पक्षकार बनाते हुए कहा गया कि पार्टी विशेष के चुनाव प्रचार के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग को व्यवस्था करने को कहा गया है, जिसमें करोड़ों रुपए का खर्चा होगा। याचिका में कहा गया कि सरकारी राजकोष से किसी राजनीतिक पार्टी का चुनाव अभियान नहीं चलाया जा सकता। याचिका में गुहार की गई है कि गौरव यात्रा में खर्च होने वाली राशि की भाजपा से वसूली की जाए।
राजस्थान
सरकार
ने
रखा
ये
पक्ष
इससे
पूर्व
हुई
सुनवाई
में
राजस्थान
सरकार
ने
राजस्थान
हाईकोर्ट
में
कहा
था
राजस्थान
गौरव
यात्रा
कतई
सरकारी
नहीं
है
और
इसमें
सरकारी
पैसा
व
मशीनरी
का
उपयोग
नहीं
किया
जा
रहा
है।
मुख्यमंत्री
इस
यात्रा
में
शामिल
हो
रही
हैं
और
मुख्य
प्रशासक
के
तौर
पर
आमजन
को
सरकारी
की
योजनाओं
की
जानकारी
दे
रही
हैं।
राज्य
सरकार
मुख्यमंत्री
के
प्रोटोकॉल,
सुरक्षा
और
अन्य
व्यवस्थाएं
करने
के
लिए
बाध्य
है,
लेकिन
इसे
गौरव
यात्रा
से
जोडकर
नहीं
देखा
जाना
चाहिए।
इस
संबंध
में
सरकारी
विभागों
के
लिए
गलती
से
जारी
आदेशों
को
वापस
ले
लिया
गया
है।
इस
पर
अदालत
ने
बीजेपी
प्रदेशाध्यक्ष
को
नोटिस
जारी
कर
जवाब
तलब
किया
है
और
यात्रा
पर
हो
रहे
खर्चे
का
ब्यौरा
भी
देने
को
कहा
है।
भाजपा
ने
दिया
खर्चे
का
ब्यौरा
याचिका
पर
सुनवाई
में
भाजपा
ने
बताया
कि
गौरव
यात्रा
4
अगस्त
को
उदयपुर
से
शुरू
हुई
थी।
यात्रा
में
4
अगस्त
से
10
अगस्त
के
बीच
उदयपुर
में
यात्रा
के
दौरान
1
लाख
चालीस
हजार
240
रुपए
का
पेट्रोल
व
डीजल
खर्च
हुआ
है।
भाजपा
की
ओर
से
बताया
गया
कि
41
लाख
30
हजार
रुपए
का
खर्चा
टेंट
हाऊस,
75
हजार
224
रुपए
का
खर्चा
बैनर,
2
लाख
34
हजार
123
रुपए
का
खर्चा
किराए
की
कार
(टैक्सियों),
38
लाख
22
हजार
907
रुपए
का
खर्चा
ब्राडिंग
और
25
लाख
99
हजार
448
रुपए
का
खर्चा
विज्ञापन
में
आया
है।
ब्यौरे
में
स्पष्ट
किया
गया
है
कि
पार्टी
के
कार्यक्रम
का
आर्थिक
भार
राज्य
सरकार
पर
नहीं
डाला
गया
है।
पार्टी
की
ओर
से
पेश
जवाब
को
रिकॉर्ड
पर
लेते
हुए
अदालत
ने
मामले
की
सुनवाई
25
अगस्त
को
रखी
है।
वसुंधरा
राजे
की
यात्रा
अभी
जोधपुर,
भरतपुर
जैसे
बड़े
सम्भागों
में
भी
जानी
है।
फिर
यूं
घिरी
सरकार
और
भाजपा
गत
सुनवाई
में
सरकार
फिर
घिरती
नजर
आई।
विभूति
भूषण
शर्मा
ने
सरकार
की
ओर
से
प्रकाशित
शुद्धि
पत्र
का
हवाला
देते
हुए
कहा
गया
कि
राज्य
सरकार
ने
अदालत
में
शपथ
पत्र
पेश
कर
सरकारी
संसाधनों
के
उपयोग
के
संबंध
में
गलत
जानकारी
दी
है।
याचिकाकर्ता
की
ओर
से
दस्तावेज
पेश
कर
कहा
गया
कि
राज्य
सरकार
की
ओर
से
राजस्थान
गौरव
यात्रा
पर
किए
जा
रहे
सरकारी
खर्च
को
अब
वीवीआईपी
विजिट
के
नाम
पर
खर्च
कर
रही
है।
याचिकाकर्ता
ने
मांग
की
है
कि
ऐसे
में
गलत
शपथ
पत्र
देने
वाले
पर
कार्रवाई
की
जाए।
इस
मुद्दे
पर
भी
हाईकोर्ट
ने
दोनों
पक्षों
को
सुना।
विपक्ष का लगातार वार
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा है कि सरकारी धन और सरकारी मशीनरी का भयानक रूप से दुरूपयोग की बाद जाहिर हो चुकी है, तो तुरंत इस यात्रा पर रोक लगानी चाहिए। वसुंधरा राजे हाईकोर्ट की अवमानना कर रही है, उन्हें तुरंत हाईकोर्ट व जनता से माफी मांगनी चाहिए।