जहर देकर मारा था दोनों बाघों को, खुलासे के बाद राजस्थान वन विभाग में हड़कंप
जयपुर। राजस्थान वन विभाग में डेढ़ से दो वर्ष के मारे गए दो बाघों को लेकर आई जांच रिपोर्ट ने हड़कंप मचा दिया है। रिपोर्ट ने वन विभाग के उस दावे की भी पोल खोल दी है, जिसमें कहा था कि मरे बाघों को किसी बड़े मेल टाइगर ने मारा है।
अब रिपोर्ट आने के बाद वन विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। अब विसरा की जांच रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि राजस्थान के सवाईमाधोपुर में विश्व विख्यात रणथम्भौर बाघ परियोजना से सटी सवाई मानसिंह सेंचुरी में अप्रैल में मरे दो बाघों को जहर देकर मारा गया था।
ये जांच रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के बरेली जिला स्थित आईवीआरआई इज्जतनगर से आई है। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों नर बाघों की मौत विषाक्त सेवन से हुई है। सवाई मानसिंह सेंचुरी में गत अप्रैल में बाघिन टी-79 के करीब डेढ़ से दो वर्ष के दो नर बाघों की मौत हो गई थी।
वन विभाग ने उस समय दावा किया था कि क्षेत्र की लड़ाई को लेकर बड़े बाघ के हमले में दोनों छोटे बाघ मारे गए हैं। इसके बाद वन विभाग ने जांच के लिए तीन लेबोरेटरी में विसरा को जांच के लिए भेजा था।
चेन्नई से आई रिपोर्ट में कुछ भी स्पष्ट नहीं हो सका और भरतपुर से रिपोर्ट अभी आना बाकी है। अब जब रिपोर्ट में वन विभाग की लापरवाही सामने आई है, तो वन विभाग का कोई अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
तब ये कहा था वन विभाग ने
वन विभाग ने कहा था कि रणथम्भौर की बाघिन टी 79 के दो शावक रणथम्भौर बाघ परियोजना से सटी सवाई मानसिंह सेंचुरी में रह रहे थे। वन विभाग को गत 17 अप्रैल को दोनों शावक एक-दूसरे से करीब 15 फीट की दूरी पर मरे पड़े थे।
वन विभाग के अनुसार शावकों के शरीर पर गहरी चोटें पाई गई थी। विभाग ने कहा था कि जब किसी बड़े बाघ का हमला हुआ होगा तो इन शावकों की मां शायद साथ नहीं होगी। वन विभाग ने कहा था कि यह पता नहीं चल पाया है कि किस बाघ ने हमला किया।