India Pak War 1971 : जब चूरू शहर के तीन फौजी बेटे एक साथ हुए शहीद
चूरू। साल 1971...महीना दिसंबर...जगह भारत-पाकिस्तान बॉर्डर। तब पाक फौज के मंसूबे नापाक और भारतीय सेना के जवानों के हौसले बुलंद थे। इन्हीं जवानों में राजस्थान के चूरू शहर के वो तीन बहादुर मुस्लिम फौजी बेटे भी शामिल थे, जो अंतिम सांस तक शेर की तरह लड़े और पाक सेना को मुंह तोड़ जवाब देते हुए भारत-पाक युद्ध 1971 में वीरगति को प्राप्त हो गए। आज 16 दिसम्बर 2019 को पूरा देश भारत-पाक के बीच 1971 में हुई जंग के जीत पर विजय दिवस की 48वीं वर्षगांठ मना रहा है। आईए इस मौके पर जानते हैं वीरों की भूमि शेखावाटी के सीकर, झुंझुनूं और चूरू के सैनिकों का India Pak War 1971 में योगदान।
चूरू के ये बेटे हुए थे शहीद
संभवतया यह पहला मौका था जब एक ही शहर के तीन मुस्लिम बेटे एक ही युद्ध में शहीद हुए हों। भारत-पाक 1971 युद्ध में चूरू के अगुणा मोहल्ला निवासी जीडीआर अश्ली अली खां, नई सड़क निवासी जीडीआर मन्नू खां और ईदगाह मोहल्ला के अलादीन ने अदम्य साहस दिखाया और वीरगति को प्राप्त हुए। इनके अलावा चूरू जिलेभर से नौ अन्य सैनिक भी शहीद हुए थे।
1971 के भारत-पाक जंग में शेखावाटी
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 में शेखावाटी के सैनिकों के योगदान को देश कभी नहीं भूल पाएगा। शेखावाटी के तीनों जिलों से हजारों सैनिक हिन्दुस्तान की आन, बान और शान के लिए लड़े और पाक को पटखनी भी दी। बता दें कि चूरू जिले के 12, सीकर के 48 और सबसे अधिक झुंझुनूं के 107 जवान शहीद हुए थे।
क्या है भारत-पाक 1971 युद्ध
भारत-पाक 1971 युद्ध को बांग्लादेश युद्ध के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस युद्ध के बाद ही बांग्लादेश अस्तित्व में आया। उससे पहले पाकिस्तान का यह हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी वायु सेना ने भारतीय वायु सेना के युद्धपोतों और राडार पर अचानक हमले कर दिए थे। तब इंडियन आर्मी ने ऑपरेशन चंगेज़ खान चलाया और 13 दिन चले संघर्ष में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। पाकिस्तान ने भारत के सामने घुटने टेक दिए और 16 दिसम्बर 1971 को ढाका के स्टेडियम पाकिस्तानी फौज के 90 हजार सैनिकों ने भारतीय फौज के सामने सरेंडर कर दिया।