राजस्थान के इस बच्चे का नाम रखा गया है 'लॉकडाउन', वजह आंखें नम कर देने वाली
अगरतला। तस्वीर संजय और उसकी पत्नी पूजा की है। पूजा की गोद में हाल ही जन्मा बेटा है। बेटे का नाम 'लॉकडाउन' है। राजस्थान के दौसा जिले के इस दम्पति के बेटे का नाम 'लॉकडाउन' रखे जाने के पीछे एक दर्दभरी कहानी है, जिसमें कई मुश्किलें हैं। मददगार भी हैं और एक दिन सब कुछ ठीक हो जाने की उम्मीद भी।
त्रिपुरा में फंसे में हैं संजय और पूजा
संजय और पूजा फेरी लगाकर गुब्बारे और पुतले बेचने का काम करते हैं। कोरोना संकट से पहले दोनों दौसा से पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा की राजधानी अगरतला आए थे। मार्च में संजय ने गर्भवती पत्नी पूजा के साथ दौसा लौटने की योजना बनाई। तब दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ गया। भारत भी अछूता नहीं रहा। 24 मार्च आधी रात से देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित हो गया फिर 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया। ऐसे में संजय और पूजा त्रिपुरा में फंस गए।
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रेलवे पुलिस कर रही मदद
त्रिपुरा में फंसे राजस्थान के लोगों में संजय और पूजा के अलावा 27 अन्य लोग भी हैं। सभी ने अगरतला रेलवे स्टेशन के पास स्थित बदरघाट हायर सैकेंडरी स्कूल में शरण ले रखी है। यहां रेलवे पुलिस इनके लिए मसीहा बनी हुई है। इन्हें भोजन व रहने की सुविधा उपलब्ध करवा रही है।
सरकारी अस्पताल में जन्मा 'लॉकडाउन'
लॉकडाउन के चलते अगरतला में फंसे रहने के दौरान संजय की गर्भवती पत्नी पूजा के प्रसव पीड़ा हुई तो रेलवे पुलिस द्वारा उसे स्थानीय सरकारी अस्पताल में ले जाया गया, जहां बेटे का जन्म हुआ। त्रिपुरा पुलिस में डाक्टर पूरबा विश्वास ने शनिवार को बच्चे के स्वस्थ की जांच की और बताया बच्चा स्वस्थ है। लॉकडाउन में जन्मे बेटे का नाम संजय और पूजा ने 'लॉकडाउन' ही रखा है। संजय ने बताया कि यह मुश्किल वक्त हमेशा याद रहेगा। इसमें खुशी भी मिली है। इसलिए बच्चे का नाम ही लॉकडाउन रख लिया है।
60 से ज्यादा मजदूर फंसे
जानकारी के अनुसार अगरतला में राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश से आए प्रवासी विक्रेता सस्ते प्लास्टिक के सामान बेचते हैं। साल के शुरुआत के छह महीने ये यहां रहकर सामान बेच वापस लौट जाते हैं। राजस्थान के 27 मजदूरों के साथ ही पड़ोसी राज्यों के करीब 60 लोग यहां एक माह से फंसे हुए हैं।
हरसंभव मदद कर रही जीआरपी
अगरतला जीआरपी के पुलिस अधीक्षक पिनाकी सामंता बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते यहां फंसे दूसरे राज्यों के लोगों की हरसंभव मदद की जा रही है। उन्हें रहने को छत और भरपेट भोजन मुहैया करवाया जा रहा है। राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश के ये लोग यहां पर गुब्बारे व प्लास्टिक का सामान बेचने का काम करते हैं।