सुषमा स्वराज की वजह से राजस्थान की रेशमा को नसीब हुई थी वतन की मिट्टी, पाकिस्तान में हुआ था इंतकाल
बाड़मेर। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को देश कभी नहीं भूल पाएगा। 67 साल की उम्र में 6 अगस्त 2019 को सुषमा स्वराज के निधन से देशभर में शोक की लहर है। वे भले ही इस जहां से रुखसत हो गई हों, मगर अपने फैसलों और मानवीय संवेदनाओं से जुड़े मुद्दों पर उठाए गए कदमों की वजह से वे लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी।
सुषमा स्वराज के विदेश मंत्री रहते हुए राजस्थान की रेशमा को अपने वतन की मिट्टी नसीब हो पाई थी, जिसे पूरा राजस्थान कभी नहीं भुला सकता। सुषमा स्वराज की वजह से भारत-पाकिस्तान ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए पहली बार किसी शव के लिए मुनाबाव बॉर्डर के गेट खोले गए थे। फिर रेशमा का जनाजा भारत लाकर उसको गांव में सुपुर्द ए खाक किया गया।
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दरअसल, राजस्थान के बाड़मेर जिले के अगासड़ी गांव की रेशमा पाकिस्तान अपनी बेटियों से मिलने गई थी, जहां उसका 18 जुलाई 2018 को निधन हो गया था। इसके बाद रेशमा का शव भारत लाए जाने में परिजनों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और जब यह बात तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक पहुंची तो उन्होंने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को ट्वीट किया और इसमें मदद का आग्रह किया।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ट्वीट करते ही पाकिस्तान विदेश मंत्रालय हरकत में आया और रेशमा के शव को भारत ले जाने की परिजन को अनुमति दे दी, लेकिन यहां फिर समस्या खड़ी हो गई। परिजन के वीजा व अन्य दस्तावेज पाकिस्तान दूतावास में जमा थे। उस समय पाकिस्तान में चुनाव थे लिहाजा कार्यालय बंद था। सुषमा स्वराज के प्रयासों से पाकिस्तान में भारतीय दूतावास को अवकाश के दिन खुलवाकर परिजन को वीजा व अन्य दस्तावेज उपलब्ध करवाए। फिर रेशमा का शव सड़क मार्ग से भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित मुनाबाव बॉर्डर के गेट खोलकर भारत लाया गया।
गांव अगासड़ी के पूरसिंह राठौड़ ने मीडिया से बातचीत में बताया कि अगासड़ी गांव के लोग सुषमा स्वराज के सदा आभारी रहेंगे। उन्होंने रेशमा का शव भारत लाने में जिस तरह संवेदना के साथ मदद की कभी नहीं भूल पाएंगे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की वजह से मुनाबाव बॉर्डर के गेट खोलकर 1 अगस्त 2018 को को पाक रेंजर्स रेशमा के जनाजे को कंधों पर उठाकर भारत लाए और इसके बाद भारतीय बीएसएफ के जवानों ने शव को कंधों पर लिया। फिर परिजन को शव सुपुर्द किया और रेशमा को उसके गांव अगासड़ी में सुपुर्द ए खाक किया गया।
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